
बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी और आरजेडी के नेता शिवानंद तिवारी (फाइल फोटो).
बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी अपने बयानों से चर्चा में बने रहते हैं. ताजा विवाद उनके आपातकाल के 45 साल पूरा होने पर बयान से शुरू हुआ है. जेपी आंदोलन में सक्रिय अन्य लोगों ने उनके उस कथन पर सवाल खड़ा किया है जिसमें उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की मौत के लिए कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार माना था. मोदी ने अपने बयान में कहा था कि कुर्सी के लिए इमरजेंसी व जेपी की मौत के जिम्मेदार कांग्रेस की गोद में बैठ गए हैं लालू यादव.
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भाजपा की ओर से आयोजित ‘आपातकालः भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय' विषयक वर्चुअल परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए जेपी आंदोलन के प्रमुख सहभागी व इमरजेंसी में उन्नीस महीने रहने वाले मोदी ने कहा कि ''लालू प्रसाद आज कुर्सी के लिए इमरजेंसी और जेपी की मौत की जिम्मेदार कांग्रेस की गोद में बैठ गए हैं. अपनी गद्दी बचाने के लिए इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की आधी रात को संविधान का गला घोंट इमरजेंसी लागू कर पूरे देश पर अपनी तानाशाही थोपी थी.'' सुशील मोदी ने कहा कि ''आजादी की दूसरी लड़ाई के प्रणेता 74 वर्षीय जेपी को आपातकाल के दौरान जेल में इंदिरा गांधी के क्रूर अत्याचार का शिकार नहीं होना पड़ता, जिससे उनकी किडनी फेल नहीं हुई होती तो वे 10-12 वर्ष और हम लोगों के बीच रहते.''
इस पर राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि ''क्या यह सही है कि जयप्रकाश नारायण जी की हत्या हुई थी! सुशील मोदी तो यही दावा करते हैं. आजादी के तुरंत बाद महात्मा गांधी की हत्या हुई थी. यह तो ऐतिहासिक सत्य है. गांधी की हत्या करने वाले का किस विचारधारा से जुड़ाव था यह भी सबको विदित है. लेकिन जेपी की हत्या हुई है ऐसा आरोप सुशील मोदी को छोड़कर और कोई नहीं लगाता है. पिछले छह वर्षों से दिल्ली में मोदी जी की ही सरकार है. जेपी की हत्या की बूंद बराबर भी शंका होती तो अब तक हर प्रकार की जांच दिल्ली सरकार ने करवा दी होती.''
तिवारी ने कहा कि ''25-26 जून 75 की रात दिल्ली से जेपी को गिरफ्तार किया गया था. नवम्बर के मध्य में पीजीआई चंडीगढ़ से उनको रिहा किया गया था. उसी दरम्यान जेपी की किडनी खराब हो गई थी. शक था कि चंडीगढ़ में ही किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली दवा दी गई थी. 77 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद बजाप्ता इसकी जांच भी कराई गई. पाया गया कि शुगर की बीमारी की वजह से किडनी खराब हुई है. जेपी का 79 में देहांत हुआ. उनकी हत्या कैसे हुई!''
शिवानंद तिवारी ने कहा कि ''सुशील मोदी को राजनीति की जिस पाठशाला में दीक्षित किया गया है वहां इसी तरह की अफवाह फैलाने में ही पारंगत किया जाता है. याद कीजिए सुभाष चंद्र बोस की मौत को लेकर कितना हंगामा मचाया गया था. 2014 में इनकी सरकार बनने के बाद खोद- खोद कर संचिकाओं में हत्या के सूत्र तलाशे गए. नतीज़ा वही, ढाक के तीन पात! खेद है कि इतनी उम्र बीत जाने के बाद भी हमारे सुशील जी में परिपक्वता नहीं आ पाई. ''