
RJD नेता तेजस्वी यादव और CM नीतीश कुमार- फाइल फोटो
बिहार में मंगलवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधान पार्षदों में टूट के बाद अब राजनीतिक कयास लगाया जा रहा हैं कि आखिर विधायक दल में कब टूट होगी. इसका संकेत खुद लोकसभा में जनता दल संसदीय दल के नेता ललन सिंह ने दे दिया था कि अभी आगे-आगे देखिए क्या-क्या होता हैं.
खुद राष्ट्रीय जनता दल के शीर्ष नेताओं का कहना हैं कि ना केवल राजद बल्कि कांग्रेस के भी विधायक अब नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड के पाले में आने के लिए इंतज़ार कर रहे हैं. यह विधायक नीतीश कुमार के संपर्क में महीनों से हैं और उनकी हरी झंडी का इंतज़ार कर रहे हैं. इन विधायकों में भाई वीरेंद्र, प्रेमा चौधरी, महेश्वर यादव, चंद्रिका राय जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं.
अधिकांश नेता लालू के बजाय नीतीश का हाथ थामने की वजह कई हैं. जैसे चंद्रिका राय का व्यक्तिगत हैं तो भाई वीरेंद्र का लगातार लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव द्वारा उनको अपमान करना हैं. तेजप्रताप उनकी विधान सभा झेत्र मनेर पर टकटकी लगाये बैठे हैं.
नाराज विधायकों का मानना हैं कि तेजस्वी के साथ राजनीति नहीं की जा सकती क्योंकि वो खुद सही समय पर राजनीतिक दृश्य से ग़ायब रहते हैं. दूसरा उनका अपने पिता के विपरीत अपने पार्टी के विधायकों के प्रति जो रवैया रहता हैं उससे कई लोग नीतीश कुमार जैसे परिपक्व और मंझे हुए राजनेता के साथ जाना बेहतर समझ रहे हैं. कई विधायकों की मजबूरी हैं कि वो राजद के वर्तमान वोटबैंक के भरोसे चुनाव नहीं जीत सकते.
लेकिन इन सबके बीच तय हैं कि तेजस्वी यादव को अपने दल का अस्तित्व बचाने के लिए पार्टी के विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ संवाद कायम करना होगा. खासकर पार्टी के वरिष्ठ नेता जैसे रघुबंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी से, क्योंकि आने वाले दिनों में ऐसे नेताओं की और नाराज़गी सहनी होगी.