मांझी को एनडीए में लाकर क्या चिराग को उनका राजनीतिक कद दिखाना चाहते हैं नीतीश कुमार?

नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान से भी नाराज़ हैं क्योंकि वो अख़बार में चिराग़ की खबरें छपती रहे इसलिए उन्हें कभी सही राजनीतिक सलाह नहीं देते.

मांझी को एनडीए में लाकर क्या चिराग को उनका राजनीतिक कद दिखाना चाहते हैं नीतीश कुमार?

पटना:

बिहार की राजनीति में जहां एक ओर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) में घर वापसी को लेकर भूमिका तैयार करना शुरू कर दिया है वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के अध्यक्ष चिराग पासवान को अब उनकी राजनीतिक औकात दिखाना चाहते हैं. नीतीश के साथ आगामी बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर एक चीज़ पर स्पष्ट है कि वो सीटों के समझौते में लोक जनशक्ति पार्टी के साथ बैठकर कोई बातचीत नहीं करेंगे, बल्कि चिराग पासवान ने जो अमित शाह की रैली के पूर्व जैसे राजनीतिक पैंतरेबाजी की उसके बाद अब उन्हें एनडीए में जो भी सीटें विधानसभा चुनावों में मिली हैं वो अब उन्हें बीजेपी के खाते से मिलेंगी. यानी की पहले जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी के बीच सीटों पर समझौता होगा और बीजेपी ही एलजेपी की मांग और उसकी राजनीतिक ज़मीन के बीच सामंजस्य बैठाकर सीटें देगी. 

नीतीश दरअसल मांझी को लाकर यह संदेश देना चाहते हैं कि बिहार एनडीए में दलितों के कई बड़े नेता हैं जैसे विधान परिषद चुनाव में फिर से मंत्री अशोक चौधरी को मनोनयन कर रहे हैं जो अपनी आक्रामक छवि के कारण जाने जाते हैं . चिराग पासवान से नीतीश कुमार की नाराज़गी के कई कारण हैं. एक नीतीश के ख़िलाफ़ एनडीए में रहकर जैसे हर मुद्दे पर सवाल खड़ा कर उन्हें विपक्ष की तरह घेरने की कोशिश करते हैं, वो नीतीश को नागवार गुजरता हैं. दूसर हर दूसरे दिन वो उन्हें पत्र लिखकर ये जताने की कोशिश करते हैं कि सरकार को क्या करना चाहिए. 

नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान से भी नाराज़ हैं क्योंकि वो अख़बार में चिराग़ की खबरें छपती रहे इसलिए उन्हें कभी सही राजनीतिक सलाह नहीं देते और जब उनके मंत्रालय से सम्बंधित राज्य सरकार की मांग होती हैं तब उसमें सार्वजनिक रूप से विवाद पैदा कर अड़ंगा लगाते हैं . इसलिए अपने कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल सम्मेलन में नीतीश हर दिन केंद्रीय मंत्री पासवान का नाम लेने से बचते रहे और यही कहते थे कि हमारे खाद्य मंत्री केंद्र के मंत्री से बात कर रहे हैं.

अभी नीतीश कुमार के समर्थकों का ये भी मानना है कि ये है पासवान के आने से महादलित समुदाय के बीच नीतीश कुमार की जो अपनी छवि बनी थी वो भी धूमिल हुई है और बार बार चुनौती देने से इन मतदाताओं के वर्ग में भी एक ग़लत संदेश जाता है और नीतीश कुमार इस सच्चाई को भलीभांति जानते हैं. इसलिए वो चाहते हैं कि अगर चिराग पासवान और राम विलास पासवान अपनी शर्तों पर एनडीए में राजनीति करना चाहते हैं तो वो उन्हें मंज़ूर नही.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com