
जवान कुंदन कुमार का शव बिहार के उनके गांव आरण पहुंचा.
India-China clash: भारत-चीन सीमा पर लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से हुए हिंसक झड़प में बिहार के सहरसा के कुंदन कुमार का निधन हो गया. इस घटना की पांचवी रात कुंदन का शव उसके पैतृक गांव आरण पहुंचा. शव के पहुंचते ही सैनिक की विधवा और उसके परिजन फूट-फूट कर रोने लगे. ग्रामीणों में वीर सैनिक की एक झलक पाने की होड़ मची रही.
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आरण गांव कल तक राष्ट्रीय पक्षी मोर के नाम से जाना जाता था, अब वह गांव शहीद कुंदन कुमार के नाम से भी जाना जाएगा. राजकीय सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार होगा.
कुंदन कुमार की पत्नी बेबी के लिए पति का देश के लिए प्राण न्यौछावर करना उसे खोने के गम पर काफी भारी पड़ रहा है. 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से हुए हिंसक झड़प में सहरसा के आरण गांव के कुंदन की भी जान चली गई. सेना के जवान कुंदन की विधवा बेबी अब अपने बच्चों को सेना में भर्ती कराने के लिए तैयार दिख रही हैं.
बेबी कहती है कि उसे अपने पति की शहादत पर गर्व है. वह अपने पति की मौत का बदला लेकर रहेगी. दुश्मन देश को जान की कीमत जान देकर चुकानी होगी. वह अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देगी. उन्हें सेना में भर्ती कराएगी और देश के दुश्मनों को मार गिराने के लिए उन्हें तैयार करेगी. ग्रेजुएट बेबी कहती है कि उन्हें पति के बदले सरकार यदि नौकरी देगी, तो वह करेगी. कुंदन के देश के लिए जान न्यौछावर करने पर पूरा गांव गौरवान्वित है. इससे कुंदन की विधवा के भी हौसले मजबूत होते जा रहे हैं.