कालीन उद्योग ने डिजिटल मेला लगाने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा

COVID-19 के कारण कामकाज ठप होने के बाद भारत के कालीन उद्योग ने आगामी 21 अगस्त से 25 अगस्त तक 'इंडिया कार्पेट एक्सपो वर्चुअल 2020' के नाम से डिजिटल मेला लगाने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा है.

कालीन उद्योग ने डिजिटल मेला लगाने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा

प्रतीकात्मक.

खास बातें

  • COVID-19 के कारण कामकाज ठप होने पर भेजा प्रस्ताव
  • 'इण्डिया कार्पेट एक्सपो वर्चुअल 2020' के नाम से मेले का भेजा प्रस्ताव
  • भारत का कालीन उद्योग आगामी 21 अगस्त से 25 अगस्त तक लगाना चाहता है मेला
भदोही:

COVID-19 के कारण कामकाज ठप होने के बाद भारत के कालीन उद्योग ने आगामी 21 अगस्त से 25 अगस्त तक 'इंडिया कार्पेट एक्सपो वर्चुअल 2020' के नाम से डिजिटल मेला लगाने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा है. साल में दो बार कपड़ा मंत्रालय के अंतर्गत लगने वाले इस कालीन मेले का आयोजन कालीन निर्यात संवर्धन परिषद करता है. पांच दिन के डिजिटल मेले का प्रस्ताव केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय के सहयोग से लगाने का एक प्रस्ताव भेजा गया है, जिसकी मंज़ूरी अभी नहीं मिली है. परिषद के अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने बुधवार को बताया की मार्च से देश में कालीन निर्माण और निर्यात को बड़ा झटका लगा है. अब तक तीन हज़ार करोड़ रुपये का माल डंप पड़ा है तो वहीं तीन हज़ार करोड़ रुपये का भुगतान विदेशों में फंसा है.

उन्होंने बताया कि पिछले साल जनवरी 2019 से जून तक 5,951 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ जबकि इस साल यह आधे से भी कम हुआ है. पिछले वित्त वर्ष में देश से कुल 12 हज़ार करोड़ रुपये का कालीन निर्यात हुआ जो इस वित्त वर्ष में 40 प्रतिशत कम होने की दशा में आ चुका है. सिंह ने बताया कि एक विशेष प्रकार का ऐप तैयार किया जा रहा है, जिससे भारत के निर्यातक अपने उत्पादों को विशेष प्रकार से विदेशी ग्राहकों को दिखा कर उनसे व्यापार करने में सक्षम होंगे. 

उन्होंने बताया लॉकडाउन के बाद मिली छूट से अब व्यापार धीरे धीरे पटरी पर आ रहा है और विदेशों से आर्डर भी थोड़े बहुत मिलने लगे हैं लेकिन इस लॉकडाउन में कालीन बुनकरों के वापस अपने प्रांत लौट जाने से एक नई समस्या खड़ी हो गई है. भारत में कालीन मेला के संस्थापक ताजमहल आर्ट्स के हाजी जलील अहमद अंसारी ने कहा, ‘इस तरह का डिजिटल कालीन मेला सिर्फ तजुर्बा दे सकता है पर यह सफल होगा, इसमें संदेह है क्योंकि कालीन में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल को हाथ से परख कर और डिज़ाइन पास से देख कर ही विदेशी खरीददार आर्डर देते हैं. अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ के उपाध्यक्ष अब्दुल हादी ने बताया कि यह अच्छी शुरुआत है.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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