
नई दिल्ली। यूरोप के ऊपर आफतों का पहाड़ टूट रहा है। यूरोप के 3 शहरों के नीचे ज्वालामुखी उफान मार रहा है। पहले से ही कोरोना वायरस के यूरोप बुरी तरह त्रस्त है और अब ये ज्वालामुखी एक और परेशानी लेकर आया है। ऐसे में यूरोपीय देशों के लिेए ये एक बहुत बुरी खबर है। जर्मनी के इन तीन शहरों के नीचे ज्वालामुखी की सक्रियता बहुत ज्यादा बढ़ गई है। यहां की जमीने के नीचे लावा का बहाव काफी तेज हो गया है। ऐसे ही हालात पूरे पश्चिमी यूरोप के है, लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादा खतरा जर्मनी के तीन शहरों के ही ऊपर मंडरा रहा है।
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काफी ज्यादा हलचल
यूरोप से इकठ्ठा किेये गए डाटा के मुताबिक, यूरोप में धरती के नीचे ज्वालामुखीय सक्रियता बहुत ज्यादा बढ़ गई है। इसकी रिपोर्ट जियोफिजिकल जर्नल इंटरनेशनल में प्रकाशित हुई है। यूरोप के उत्तर-पश्चिमी हिस्से के नीचे जमीन में काफी ज्यादा हलचल देखी गई है.
धरती के नीचे लावा के बहाव में आई तेजी से पश्चिमी-मध्य जर्मनी के तीन शहर खतरे के घेरे में आ गए हैं। ये तीनों शहर जर्मनी की द आइफेल रीजन में आते हैं। खतरे वाले इन शहरों के नाम हैं-
आशेन
ट्रायर
कोबलेंज
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गोलाकार छोटी-बड़ी झीलें देखने को मिलेंगी
बता दें, द आइफेल रीजन हजारों सालों से ज्वालामुखीय गतिविधियों का केंद्र रहा है। आपको इस इलाके में कई गोलाकार छोटी-बड़ी झीलें देखने को मिलेंगी। जो हजारों साल पहले ज्वालामुखीय गतिविधियों से बनी थीं। इन्हें जर्मनी में मार्स कहा जाता हैं।
इसके बारे में अध्ययन करने वाले रिसर्चर प्रोफेसर कॉर्न क्रीमर ने कहा कि यह विस्फोट इतना ताकतवर था जितना 1991 में ज्वालामुखी माउंट पिनाटुबो का विस्फोट था।
प्रोफेसर कॉर्न क्रीमर ने कहा कि दुनिया भर के ज्यादातर वैज्ञानिक ये मानते हैं कि द आइफेल रीजन में ज्वालमुखीय गतिविधियां खत्म हो गई हैं। लेकिन अगर सभी बिंदुओं पर गौर फरमाएं तो पता चलता है कि उत्तर-पश्चिम यूरोप की जमीन के नीचे कुछ बहुत भयावह हो रहा है।
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जमीन में हो रहा बदलाव
आगे प्रो. क्रीमर ने बताया कि द आइफेल रीजन में आने वाले देश लग्जमबर्ग, पूर्वी बेल्जियम, नीदरलैंड्स के दक्षिणी हिस्से लिमबर्ग की जमीन ऊपर उठ रही है। आइफेल रीजन में जमीन में हो रहा बदलाव इतना तेज है कि यह आसानी से पता चल रहा है।
इसी सिलसिले में प्रोफेसर क्रीमर कहते हैं कि हमारी स्टडी इस बात को प्रमाणित करती है कि लाशेर सी और आइफेल रीजन की जमीन के नीचे मैग्मा (उबलता हुआ लावा) लगातार बह रहा है। मतलब की आइफेल रीजन आज भी एक्टिव ज्वालमुखी के ऊपर बैठा है।
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