कोरोना के चलते बिखरा परिवार, पिता की मौत, मां अस्पताल में , बेटा-बेटी क्वॉरंटीन

दिल्ली में रहने वाले वीरेन्द्र पांच दिन इलाज के लिये भटके लेकिन इलाज नहीं मिला, जेपी अस्पताल में लैब टेक्निशयन भाई ने भोपाल बुला लिया, शनिवार सुबह वो भोपाल पहुंचे, रविवार सुबह उनकी मौत हो गई.

कोरोना के चलते बिखरा परिवार, पिता की मौत, मां अस्पताल में , बेटा-बेटी क्वॉरंटीन

दिल्ली में रहने वाले वीरेन्द्र पांच दिन इलाज के लिये भटके लेकिन इलाज नहीं मिला.

भोपाल :

दिल्ली में रहने वाले वीरेन्द्र पांच दिन इलाज के लिये भटके लेकिन इलाज नहीं मिला, जेपी अस्पताल में लैब टेक्निशयन भाई ने भोपाल बुला लिया, शनिवार सुबह वो भोपाल पहुंचे, रविवार सुबह उनकी मौत हो गई. भोपाल के चिरायु अस्पताल में भर्ती उनके बेटे ने एनडीटीवी को फोन पर बताया, 'डॉक्टर्स की वजह से मेरे पिता के साथ ऐसा हुआ है. हमने पूरी कोशिश की जो करता था सब किया लेकिन वहां कोई हेल्प नहीं मिली...हर जगह फोन मैंने फोन किया लेकिन किसी ने मदद नहीं की सबने आगे पास ऑन कर दिया .... मुझे लग रहा था बहुत देर हो गई है .... पापा कोरोना पॉजिटिव थे लेकिन चाचा ने उन्हें अपने हाथों से उठाया जो कुछ किया चाचा ने किया अकेले किया ... उनको खुद स्ट्रेचर पर लिटाया उनको खुद टेस्ट करवा कर लाए.'

      
पति की मौत की ख़बर सुनकर पत्नी को दिल्ली में अटैक आया, 15 साल की बिटिया लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल ले गई, लेकिन किसी ने हाथ नहीं लगाया, फिर उन्हें लेकर वो नोएडा के अस्पताल पहुंची. बेटे ने रोते हुए कहा, ' उनसे बात नहीं हो पा रही है, वहां आइसोलेशन में हैं मेरी मां उनसे कोई कॉन्टेक्ट नहीं हो पा रहा है, पता नहीं लग रहा है वो किस हालात में हैं ... मेट्रो हॉस्पिटल नोएडा वाला ... मैंने एक को खो दिया अब दूसरे को नहीं खो सकता.'

इस मुद्दे पर मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिल्ली सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा ''मजबूरन उसे दिल्ली से भोपाल इलाज के लिए आना पड़ा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और उसकी मौत हो गई. यदि उसको समय पर दिल्ली में इलाज मिल जाता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी. दिल्ली से भोपाल लौटने के बाद उसकी हालत गंभीर होने के बाद भी मध्यप्रदेश सरकार ने उसे समुचित उपचार उपलब्ध कराकर बचाने के समस्त प्रयास किए, लेकिन अत्यधिक विलंब हो जाने कारण नहीं बचाया जा सका. केजरीवाल सरकार सिर्फ बातें कर रही है. यदि सरकार काम कर रही होती तो इस प्रकार से मरीज को दिल्ली में इलाज करवाने के लिए पांच दिन अस्पतालों में भटकना नहीं पड़ता.'

वैसे सियासत के इतर इस एक तस्वीर में 4 मार्मिक कहानियां हैं, एक परिवार का चार हिस्सों में बिखर जाना है. पिता की मौत हो गई, बेटा भोपाल के अस्पताल में क्वॉरंटीन है, पत्नी नोएडा के अस्पताल में, छोटी बिटिया दिल्ली के घर में क्वॉरंटीन है.

 
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