
लद्दाख सीमा पर भारतीय सेना भी मुस्तैदी के साथ खड़ी है.
10 बड़ी बातें
सूत्रों के हवाले से खबर है कि भारत- चीन सीमा पर तोप व युद्धक वाहनों समेत हथियार प्रणालियों को पहुंचा रहे हैं यह काम ऐसे हो रहा है जब दोनों ही देशों की ओर से कूटनीतिक और बातचीत के जरिए इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश हो रही है.
चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास अपने पीछे के सैन्य अड्डों पर तोपें, पैदल सेना के युद्धक वाहनों और भारी सैन्य उपकरणों का भंडारण बढ़ा रही है.
जवाब में भारतीय सेना भी इसी टक्कर का साजो-सामान इकट्ठा कर रही है. इस क्षेत्र में अतिरिक्त जवानों के साथ ही उपकरणों और तोप जैसे हथियारों को वहां पहुंचा रही है.
इस बात के साफ संकेत दे दिए गए हैं कि जब तक पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी और कई अन्य इलाकों में पुरानी स्थिति बरकार नहीं होती है तब तक भारतीय सेना पीछे नहीं हटेगी.
भारतीय सेना के साथ-साथ इस इलाके में एयर इंडियन फोर्स भी कड़ी निगरानी रख रही है.
इस महीने में चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में घुस आए थे और तबसे पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में बने हुए हैं. भारतीय सेना ने चीनी जवानों के इस अतिक्रमण का तीव्र विरोध किया और उनके तत्काल वहां से वापस लौटने तथा शांति व यथास्थिति बहाल करने की मांग की.
चीनी सेना ने डेमचोक और दौलतबेग ओल्डी में भी अपनी मौजूदगी बढ़ाई थी. ये दोनों संवेदनशील क्षेत्र हैं और पूर्व में यहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हो चुकी है.
उपग्रह से ली गई तस्वीरों में नजर आ रहा है कि चीन ने मानक सीमा के अपनी तरफ रक्षा आधारभूत ढांचे में तेजी से इजाफा किया है जिसमें पैंगोंग त्सो इलाके से करीब 180 किलोमीटर दूर एक सैन्य हवाईअड्डे का निर्माण भी शामिल है.
हालांकि चीनी सेना की ओर से की जा रही ऐसी हरकतों पर भारतीय सेना भी वैसी ही तैयारी कर रही है लेकिन सेना का मानना है कि चीन का उद्देश्य भारत पर सिर्फ दबाव बनाना है.
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमें चीनी हथकंडों के बारे में अच्छे से पता है. भारतीय सेना अपने रुख पर अडिग है और हम इलाके में यथास्थिति के बहाल होने से कम पर राजी नहीं होने वाले.'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)