
नई दिल्ली: लद्दाख और सिक्किम के पास कई इलाकों में भारत और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बीच अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा चीन के साथ सीमा पर मौजूदा स्थिति के बारे में सरकार की चुप्पी अटकलों को हवा दे रही है। ऐसे में सरकार को देश को सही स्थिति के बारे में अवगत कराना चाहिए।
राहुल गांधी ने भारत सरकार से मांगा जवाब
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि चीन के साथ सीमा की मौजूदा स्थिति के बारे में सरकार की चुप्पी संकट के समय भारी अटकलों और अनिश्चितता को हवा दे रही है। उन्होंने आगे लिखा कि भारत सरकार को स्पष्ट होना चाहिए और भारत को बताना चाहिए कि क्या हो रहा है।
The Government’s silence about the border situation with China is fueling massive speculation and uncertainty at a time of crisis.
GOI must come clean and tell India exactly what’s happening.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 29, 2020
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कुछ दिनों पहले भी कांग्रेस नेता ने कहा था कि भारत-चीन सीमा पर मौजूदा गतिरोध को लेकर पारदर्शिता की जरूरत है।
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनातनी
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच पांच मई को झड़प होने के बाद स्थिति और तनावपूर्ण हो गई थी। इसके बाद स्थानीय कमांडरों के बीच बैठक के बाद दोनों पक्षों में कुछ सहमति बन पाई थी। इस घटना में भारत और चीन दोनों देशों के 100 सैनिक घायल हो गए थे। इस घटना पर चीन की कड़ी प्रतिक्रिया भी सामने आई थी। नौ मई को उत्तरी सिक्किम में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी।
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यहां पर चीन ने बढ़ाई सैनिकों की तैनाती
चीन की तरफ से पेंगोंग त्सो झील और गालवान वैली में दो हजार से ढाई हजार सैनिकों की तैनाती की गई है, साथ ही चीन यहां पर अस्थाई सुविधाएं भी बढ़ा रहा है। गौरतलब है कि चीन दशकों से भारत के इन क्षेत्रों पर अपना अधिपत्य स्थापित करना चाहता है। इसके लिए चीन क्षेत्र में सड़कों की कनेक्टिविटी पर भी तेजी से काम कर रहा है।
डोकलाम विवाद के बाद सबसे बड़ा विवाद
ऐसे में अगर भारत की तरफ से भी इन इलाकों में सैनिक बढ़ा दिए गए हैं। अगर भारत और चीन की सेनाएं लद्दाख में आमने-सामने आती हैं तो फिर 2017 के डोकलाम विवाद के बाद ये सबसे बड़ा विवाद होगा।
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2017 में डोकलाम इलाके में हुआ था टकराव
बता दें कि भारतीय-चीन बॉर्डर पर डोकलाम इलाके में दोनों देशों के बीच 2017 में टकराव हुआ था। जो कि 16 जून से 28 अगस्त के बीच 73 दिनों तक चलता रहा था। इस बीच दोनों देशों के बीच हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे। बाद में जब अगस्त में दोनों ओर से टकराव खत्म हुआ तो दोनों देशों में सेनाएं वापस बुलाने पर सहमति बनी।
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