
देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रमिक ट्रेनों द्वारा अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर में भूख-प्यास से एक महिला की मौत के मामले के बाद एक मजदूर के मारे जाने की खबर सामने आई है. लुधियाना से अमेठी जा रहे मजदूर की ट्रेन में तबीयत खराब हुई लेकिन समय मदद नहीं मिलने के चलते उसकी मौत हो गई. श्रमिक ट्रेन द्वारा अमेठी जा रहे 65 वर्षीय श्रमिक दया बख्श की संदिग्ध हालात में मौत हो गई. मृतक के पुत्र रामसिंह का कहना है कि वो अपने पिता दया बख्श के साथ पंजाब में मेहनत मजदूरी किया करते थे. लॉकडाउन के बाद वहां काम खत्म होने के बाद बुधवार दोपहर 2 बजे वह अपने पिता के साथ श्रमिक स्पेशल ट्रेन से अमेठी के लिए रवाना हुए .
अम्बाला के पास अचानक उनके पिता की तबियत खराब हुई जिसके बाद राम सिंह ने रेलवे हेल्पलाइन नंबर 139 पर फोन करके मदद मांगी, मगर उन्हें कोई भी मदद नही मिली. राम सिंह का कहना है कि जब ट्रेन सहारनपुर पहुंची तो उन्होंने पुलिस को सूचित किया. पुलिस राम सिंह के पिता को लेकर जिला अस्पताल पहुंची, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया . राम सिंह के पिता दयाबख्श के शव को फिलहाल मोर्चरी में रखा गया है, अधिकारियों का कहना है कि पोस्टमार्टम के बाद ही कुछ आधिकारिक रूप से कहा जा सकता है.
भूख से महिला की मौत पर रेलवे ने झाड़ा पल्ला, कहा, 'पहले से बीमार थी महिला'
आपको बता कें कि कोरोनावायरस के चलते लागू लॉकडाउन ने जिसे सबसे ज्यादा दुख दिए हैं, वो हैं प्रवासी मजदूर और उनकी दुर्दशा खत्म होने का नाम नहीं ले रही. बुधवार को सोशल मीडिया पर प्रवासी मजदूरों के दर्द का एक वीडियो वायरल होता रहा. भीषण गर्मी और भूख से बेहाल होकर बिहार के मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन पर एक महिला ने दम तोड़ दिया और उसका छोटा सा बच्चा अपने मां के ऊपर ओढ़ाए गए कफ़न को हटाकर जगाने की कोशिश करता रहा.
सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था जिसमें महिला जमीन पर पड़ी हुई है और उसे एक कपड़े से ढंका गया है लेकिन उसका बच्चा उसके ‘कफन' से खेल रहा है और उसे हटाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन जाहिर तौर पर मां उसकी बात नहीं सुन रही. जानकारी है कि महिला की भीषण गर्मी, भूख और डिहाइड्रेशन के चलते मौत हो गई थी. महिला श्रमिक ट्रेन के जरिए मुजफ्फरपुर पहुंची थी.
महिला के परिवारवालों ने बताया कि उसने शनिवार को गुजरात से ट्रेन ली थी और सोमवार को मुजफ्फरपुर में ट्रेन के पहुंचने के थोड़ी देर बाद ही उसकी मौत हो गई. महिला के शव को स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर लिटाया गया था. इस दौरान उसका बच्चा उसे बार-बार जगाने की कोशिश करता रहा. बाद में एक दूसरे लड़के ने उसे वहां से हटा दिया.
कई लोगों ने इस वीडियो इंडियन रेलवे के ट्विटर हैंडल को टैग कर रीट्वीट किया. इसके बाद रेलवे ने अपने बयान में कहा कि उपरोक्त महिला पहले से ही बीमार थी. देहांत हो जाने के बाद परिवार ने स्टेशन पर उतार लिया था.
उपरोक्त महिला के पहले से ही बीमार होने की पुष्टि उनके परिवार ने की है, जो 23 मई 2020 को अहमदाबाद से कटिहार के लिए ट्रेन में चढ़ी थी और 25 मई 2020 को इनके देहांत हो जाने पर मुज्ज़फरपुर स्टेशन पर उनके परिवार द्वारा उतार लिया गया था।
— Spokesperson Railways (@SpokespersonIR) May 27, 2020
आग्रह है कि इस तरह ग़लत ख़बरों को ना फैलाए।
हालांकि मृतक महिला के साथ आए रिश्तेदार ने मीडियो को बताया...
'हम जब गुजरात से ट्रेन में चढ़े थे तब सब ठीक था. महिला को कोई बीमारी नहीं थी. बीच में ट्रेन काफी देर रुकी रही, गर्मी के कारण तबीयत खराब हो गई. मुजफ्फरपुर स्टेशन से कुछ घंटे पहले ही ट्रेन में इनकी मौत हुई.'
ढाई साल के बच्चे की भी मौत
इसके अलावा मुजफ्फरपुर स्टेशन पर ही एक ढाई साल के बच्चे की भी मौत हो गई. मृतक बच्चे के परिजन का कहना है कि भीषण गर्मी के कारण और ट्रेन में खाना-पानी नही मिलने के कारण बच्चे की हालत काफी बिगड़ गई और उसने स्टेशन पर ही दम तोड़ दिया. मां को दूध नहीं उतरा, जिससे कि वो बच्चे को दूध भी नहीं पिला सकी.
मृतक बच्चे के पिता बेतिया निवासी मकसूद आलम ने बताया कि वह दिल्ली में पेंटर का काम करता था. रविवार को अपने परिवार के साथ श्रमिक स्पेशल ट्रेन से घर के लिए चला. सोमवार की सुबह दस बजे उसकी ट्रेन मुजफ्फरपुर पहुंची. भीषण गर्मी के बीच ट्रेन में खाना-पानी नही मिलने के कारण बच्चे की तबियत खराब हो गई थी और मुजफ्फरपुर स्टेशन पर उतरते ही उसकी हालत और खराब हो गई. मकसूद आलम का आरोप है कि वह मदद के लिए पुलिस और स्टेशन पर मौजूद जिला प्रशासन के पदाधिकारियों से संपर्क कर बच्चे के इलाज की गुहार लगाई, लेकिन उसकी बात किसी ने नही सुनी. वह स्टेशन पर 4 घंटे तक मदद के लिए भटकता रहा लेकिन घर जाने के लिए गाड़ी के साधन की भी किसी ने जानकारी नहीं दी और अंततः उसका बच्चा स्टेशन पर ही मर गया.
लॉकडाउन के चलते अपनी नौकरी और पैसों से हाथ धो बैठे लाखों मजदूर अपने-अपने घर जाने की जुगत में लगे हुए है. बहुत से मजदूरों ने पैदल ही सफर शुरू किया है. इस बीच कई मजदूरों की भूख-प्यास से मौत हो गई है. वहीं कई मामलों में उनकी गाड़ियों का एक्सीडेंट तक हो गया है. पिछले दो महीनों में कई मामलों में सैकड़ों मजदूरों की मौत हुई है. (कौशल किशोर के इनपुट)
भूख-प्यास से बेहाल मां की स्टेशन पर ही मौत, जगाता रहा बच्चा