किसानों पर दोहरी मार : लॉकडाउन तो था ही, अब टिड्डी दल का मंडराया खतरा

Locusts attack: साल 2020 जैसे अपने साथ कई संकट लेकर आया है. देश एक तरफ कोरोनावायरस के अभूतपूर्व संकट से जूझ रहा है. तो दूसरी तरफ उत्तर भारत के कई राज्यों में आसमान से एक दूसरा संकट टिड्डी दलों की शक्ल में छाया हुआ है.

नई दिल्ली:

साल 2020 जैसे अपने साथ कई संकट लेकर आया है. देश एक तरफ कोरोनावायरस के अभूतपूर्व संकट से जूझ रहा है. तो दूसरी तरफ उत्तर भारत के कई राज्यों में आसमान से एक दूसरा संकट टिड्डी दलों की शक्ल में छाया हुआ है. खास बात यह है कि ये दोनों ही संकट भारत के बाहर से आए हुए हैं. भारत के सीहोर,जयपुर , झांसी और छतरपुर में टिड्डी दलों की भयावहता नजर आई. टिड्डियों के कई दल एक राज्य से दूसरे राज्य में आसमान से घूम रहे हैं. वहां की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं. ये टिड्डी दल किसी भी हरी भरी जगह बैठ जाते हैं और देखते ही देखते फसल को चट कर जाते हैं. फसलों के लिए यह बहुत बड़ा संकट है. इस बार जो टिड्डी दलों का हमला हुआ है वह बीते 27 साल में सबसे घातक है. 

फिलहाल ये टिड्डी दल देश के कई राज्यों में सक्रिय हैं और जल्दी ही ये दूसरे राज्यों में भी पहुंच सकते हैं. भारत में टिड्डी दलों का सबसे पहला हमला राजस्थान में हुआ है. एक आकलन के मुताबिक अब तक करोड़ों रुपयों की फसल का नुकसान हो चुका है. राजस्थान से टिड्डी दल ने मध्यप्रदेश का रुख किया. जहां किसानों को अपनी फसल पर खतरा महसूस होने लगा है. टिड्डी दलों ने गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश का भी रुख किया है और वहां की सरकारों को सचेत कर दिया गया है. 

बता दें कि पूर्वी अफ्रीका के इलाकों में पनपे ये टिड्डी दल ,पश्चिम उत्तर एशिया के रास्ते आगे बढ़ते हुए भारत पहुंचे हैं. जानकारों के मुताबिक ये टिड्डी दल अफ्रीका, पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण पश्चिम एशिया के शुष्क और अर्धशुष्क रेगिस्तानों में रहते हैं. एक अनुमान के मुताबिक ये टिड्डी दल 60 देशों को प्रभावित कर सकते हैं. ये टिड्डी दल दुनिया की 10 फीसदी आबादी को प्रभावित कर सकते हैं. 
 

 
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