Covid-19 के डर से मां-बच्चे को नहीं मिला इलाज, मौत के बाद छह डॉक्टरों पर एक्शन की मांग

20 साल की जनीला की प्रेग्नेंसी में आखिरी वक्त में कुछ मुश्किलें आ गई थीं, जिसके चलते उनका इलाज कराना जरूरी था लेकिन उन्हें इस हॉस्टिपल से उस हॉस्पिटल भेजा जाता रहा.

Covid-19 के डर से मां-बच्चे को नहीं मिला इलाज, मौत के बाद छह डॉक्टरों पर एक्शन की मांग

प्रतीकात्मक.

खास बातें

  • कंटेनमेंट ज़ोन में रहने की वजह से नहीं मिला इलाज
  • इस अस्पताल से उस अस्पताल तक लगाए चक्कर
  • आखिर में मां और बच्चे की हो गई मौत
हैदराबाद:

तेलंगाना में एक महिला और उसके नवजात शिशु की अप्रैल महीने में तब मौत हो गई थी, जब उसे कोविड-19 होने के डर से वक्त पर इलाज नहीं मिल पाया. महिला ने इलाज के लिए कई अस्पतालों के चक्कर लगाए, कई जगहों पर डॉक्टरों ने उसे भर्ती करने इनकार कर दिया. महिला की गलती बस इतनी थी कि वो एक कंटेनमेंट ज़ोन में रहती थी. राज्य सरकार की ओर से तेलंगाना हाईकोर्ट में दाखिल किए गए एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में बताया गया गया है कि डॉक्टरों को डर था कि चूंकि महिला कंटेनमेंट ज़ोन में रहती है, ऐसे में वो कोरोनावायरस से संक्रमित हो सकती है. मामले में छह डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 20 साल की जनीला की प्रेग्नेंसी में आखिरी वक्त में कुछ मुश्किलें आ गई थीं, जिसके चलते उनका इलाज जरूरी था. लेकिन उन्हें इस हॉस्टिपल से उस हॉस्पिटल भेजा जाता रहा. पांच में दो अस्पतालों के छह डॉक्टरों ने तो उनका इलाज करने से ही मना कर दिया. इलाज न मिलने के चलते डिलीवरी के बाद मां-बच्चे की मौत हो गई. महिला का घर हैदराबाद से 180 किलोमीटर दूर जोगूलांबा गोदवाला जिले में है, जिसे कंटेनमेंट ज़ोन घोषित किया गया था. महिला की डिलीवरी से पहले कोविड-19 टेस्टिंग हुई थी, जो निगेटिव आया था.

तेलंगाना हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए स्पेशल चीफ सेक्रेटेरी शांति कुमारी ने छह डॉक्टरों पर उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की है. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'महाबाबूनगर जिला अस्पताल के डॉक्टरों को महिला का इलाज करना चाहिए था. वो उसकी जान बचा सकते थे. सुल्तान बाज़ार अस्पताल के डॉक्टरों ने उसका चेकअप तक नहीं किया.'

इधर-उधर घुमाते रहे डॉक्टर्स
23 अप्रैल को जनीला को कुछ कॉम्प्लिकेशन्स हो गई थीं और उन्हें राजोली में प्राइमरी हेल्थकेयर सेंटर ले जाया गया था. यहां उनके कोरोनवायरस संक्रमित होने के डर से उन्हें गडवाल जिला अस्पताल भेज दिया गया. इसके बाद वहां से भी उन्हें महाबाबूनगर जिला अस्पताल, फिर सुल्तान बाज़ार के सरकारी मैटर्निटी अस्पताल फिर गांधी अस्पताल भेजा गया, जहां आखिरकार उनकी कोविड-19 टेस्टिंग हुई. जब उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई तो उन्हें पेटलाबुर्ज मैटर्निटी हॉस्पिटल भेज दिया गया, जहां उन्होंने 25 अप्रैल को एक बच्चे को जन्म दिया.

अगले दिन उनके नवजात शिशु को नीलोफर हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया, जहां बच्चे की मौत हो गई. जनीला को ओस्मानिया हॉस्पिटल शिफ्ट किया गया. जहां अगले ही दिन उनकी भी मौत हो गई.

अपनी रिपोर्ट में राज्य सरकार ने कहा है कि कोरोनावायरस के संक्रमण के डर की वजह से किसी को इलाज देने से मना नहीं किया जा सकता. सरकार नई मांओं और शिशुओं के लिए हर जरूरी चीजें और गर्भवती महिलाओं के लिए एंबुलेंस उपलब्ध कराएगी. इसमें गर्भवती महिलाओं के लिए एक नए प्रोटोकॉल की वकालत की गई है, जिसमें हैदराबाद को छोड़कर दूसरे सभी जिलों को ग्रीन ज़ोन घोषित करने की सलाह है. बता दें इस केस में मानवाधिकार आयोग की ओर से राज्य सरकार को नोटिस मिला था.

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