
खेतों पर हमला बोलकर टिड्डी दल फसल चौपट कर रहा है
जानते हैं टिड्डियों के इस प्रकोप से जुड़ी 10 बातें..
टिड्डी दल को कोमल पत्तियां बेहद पसंद होती हैं. लाखों की संख्या में टिड्डी दल जब खेतों पर हमला बोलता है तो कुछ ही घंटों में हरी-भरी फसल साफ कर देता है. एक अनुमान के अनुसार, टिड्डियों के ये दल अब तक लाखों हेक्टेयर कृषि-भूमि को बर्बाद कर चुके हैं.
टिड्डी दल का संकट केवल भारत दक्षिण एशिया तक ही सीमित नहीं है यूरोप और अफ्रीका के कई देश भी ऐसी समस्या का सामना करते रहे हैं. हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में टिड्डी दल के हमले की खबर ने सुर्खियां बटोरी थीं.
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) एफएओ ने चेतावनी दी है कि अगले माह यानी जून में बरसात के साथ भारत को टिड्डियों के नए हमले का सामना करना पड़ेगा.
एक वर्ग किलोमीटर में 4 करोड़ या इससे अधिक टिड्डियां होती हैं. एक दिन में ;s 35,000 लोगों का खाना चट कर सकती हैं. इनकी रफ्तार बहुत तेज़ होती है. खेतों पर हमला बोलते ही हर तरफ ये ही नजर आती हैं.
पिछले दिसंबर में टिड्डियों के दल ने गुजरात में हमला किया था, उसके बाद राजस्थान और फिर मध्यप्रदेश ने इनका हमला झेला. यूपी के कुछ जिलों में इसे लेकर अलर्ट जारी किया गया है.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार हवा के रूख के साथ टिड्डी दल के हमले की दिशा बदल जाती है. यूपी और दिल्ली यहां तक कि हरियाणा और पंजाब को भी इनकी मार झेलनी पड़ सकती है.
दवा और स्प्रे के अलावा देसी तरीके भी किसान इन्हें भगाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. ढोल, थाली बजाकर और पटाखे छोड़कर इन्हें भगाने की कोशिश किसान कर रहे हैं. धुआं करके भी टिड्डी दल को भगाने की कोशिश की जा रही है.
रबी की फसल तो कट चुकी है लेकिन मूंग, कपास और मिर्ची की फसल को टिड्डी दल के हमले के कारण नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. जिन खेतों में सब्जियां लगी हैं, वे भी टिड्डी दल के हमले के शिकार बन रहे हैं.
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे अपने स्तर पर समूह बनाकर खेतों में रात के समय निगरानी करें.
पिछले साल भी राजस्थान ने टिड्डियों का हमला झेला था.राजस्थान के कई जिलों में फसल को इसके कारण खासा नुकसान हुआ था. राजस्थान सरकार ने नुकसान झेलने वाले किसानों के लिए मुआवजे की घोषणा की थी.