क्वारंटाइन सेंटर में प्रवासी मजदूर की मौत, सवालों के घेरे में प्रशासन

जिले में प्रवासी मजदूरों की बढ़ती आमद ने जिला प्रशासन द्वारा बनाये गये क्वारेंटाइन सेंटरों की व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है। प्रवासी मजदूरों को बगीचों में क्वारंटाइन किया जाने लगा है।

Published by Ashiki Patel Published: May 22, 2020 | 9:31 am
Modified: May 22, 2020 | 9:34 am

जौनपुर: जिले में प्रवासी मजदूरों की बढ़ती आमद ने जिला प्रशासन द्वारा बनाये गये क्वारेंटाइन सेंटरों की व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है। प्रवासी मजदूरों को बगीचों में क्वारंटाइन किया जाने लगा है। इसकी पुष्टि तो जनपद मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर स्थित ग्रामीण इलाके के ग्राम सुरेरी थाना क्षेत्र सुरेरी में क्वारंटाइन व्यक्ति 40 वर्षीय जय शंकर की मौत ने कर दिया है कि सरकारिया तंत्र एवं गांव के ग्राम प्रधानों द्वारा गांव के क्वारंटाइन सेन्टर के प्रति कितनी लापरवाही बरती जा रही है।

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इस भीषण गर्मी में प्रवासी मजदूरों के लिये बाग बगीचे को क्वारंटाइन सेन्टर बनाया गया है, जबकि किसी स्कूल अथवा सरकारी भवन में क्वारंटाइन सेन्टर बनाया जाना चाहिए।

पूरे गांव में मचा कोहराम

बता दें कि जय शंकर विगत 16 मई को मुम्बई से अपने गांव सुरेरी वापस लौटा था उसे गांव के एक बगीचे में और प्रवासी मजदूरों के साथ क्वारंटाइन किया गया था। बीती रात अचानक जय शंकर की तबीयत खराब हुई सांस लेने में कठिनाई हो रही थी और समय से उपचार की व्यवस्था न होने के कारण रात में ही उसकी मौत हो गयी। जय शंकर की मौत होने के बाद पूरे गांव में कोहराम मच गया।

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जय शंकर की मौत के बाद ग्राम प्रधान रमा शंकर पाल ने स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया और आग्रह किया कि मृतक जय शंकर का सैम्पल लेकर कोरोना की जांच कराया जाये लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने सायद इसकी जरूरत नहीं समझी और न ही प्रशासन के अधिकारी इस तरफ गम्भीर नजर आये, लेकिन पुलिस ने मौके पर पहुंच कर ग्रामीणों को सरकारी हनक दिखा कर शव को पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया।

इन गावों में भी बगीचे में ही बनाये गए क्वारंटीन सेन्टर

बगीचे में क्वारंटाइन सेन्टर बनाये जाने की यह कोई एक गांव नहीं है यह तो एक उदाहरण है। इसके पहले जनपद के थाना सरपतहां क्षेत्र का मामला चर्चा में आया था कि बगीचे में प्रवासी मजदूरों को खुले आसमान के नीचे क्वारंटाइन किया गया है। यही नहीं बरसठी थाना क्षेत्र में पेड़ के नीचे क्वारंटाइन सेन्टर बनाया गया है। इस तरह छान बीन से पता चला है कि जनपद के तमाम ग्रामों में प्रधान लोगों ने बगीचे को क्वारंटाइन सेन्टर बनाया है। स्थानीय अधिकारी हो या जिला प्रशासन हो इसके प्रति गंभीर नहीं नजर आ रहा है। जबकि शासन का आदेश है कि सरकारी भवन एवं सुरक्षित स्थान पर क्वारंटाइन सेन्टर बना कर प्रवासी मजदूरों को रखा जाये।

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इस मसले को लेकर तहसील मड़ियाहू के एसडीएम से सुरेरी की घटना के बाबत बात किया गया तो उनके द्वारा अव्यवस्था के बिषयक दी गयी जानकारी खासी चौकाने वाली रही है। इन्होंने इसके लिए ग्राम प्रधान सहित अपने नीचे के सरकारी कर्मचारियों के उपर ठीकरा फोड़ कर खुद को जिम्मेदारी से मुक्त सिद्ध करने का प्रयास किया है। यही स्थिति कमोबेश पूरे जनपद की है। हर स्तर पर अव्यवस्था का आलम है। अब सवाल यह उठता है कि प्रवासी मजदूरों के साथ ऐसी लापरवाही क्यों बरती जा रही है।

रिपोर्ट: कपिलदेव मौर्या 

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