कंपनियों के जाने से तिलमिलाया चीन, भारत को दे डाली ये चेतावनी

दुनिया के ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था वर्तमान समय में चरमरा गई है। बदहाल अर्थव्यवस्था को देखते हुए भारत की कोशिश है कि औद्योगिक श्रृंखला विस्तार में चीन को पीछे कर उसकी जगह ली जाए। चीनी अखबार ने भारत की ऐसी कोशिशों पर चिंता जताई है।

Published by suman Published: May 20, 2020 | 10:56 am

नई दिल्ली : दुनिया के ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था वर्तमान समय में चरमरा गई है। बदहाल अर्थव्यवस्था को देखते हुए भारत की कोशिश है कि औद्योगिक श्रृंखला विस्तार में चीन को पीछे कर उसकी जगह ली जाए। चीनी अखबार ने भारत की ऐसी कोशिशों पर चिंता जताई है।

चीन में स्थित कई कंपनियां अब भारत में मैन्यफैक्चरिंग यूनिट लगाने का विचार कर रही हैं जिससे चीन भड़क गया है। चीन सरकार समर्थित चाइनीज डेली ग्लोबल टाइम्स ने भारत की कोशिशों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि वह कभी भी चीन का विकल्प नहीं बन सकेगा। चीन में यह चिंता उस समय जताई गई है जब पिछले दिनों जर्मनी की एक जूता कंपनी ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चीन से उत्तर प्रदेश शिफ्ट करने की बात कही। इसी तरह कई अन्य कंपनियां भारत आने को उत्सुक हैं। इसके अलावा कई कंपनियां चीन से बाहर जाने की सोच रही हैं।

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इस रिपोर्ट में कोरोना महामारी के आर्थिक दबाव के बीच चीन को पीछे छोड़कर भारत का दुनिया की अगली फैक्टरी बनने की उम्मीद कम ही है। कुछ कट्टर समर्थक मान रहे हैं कि भारत चीन को पीछे छोड़ने की राह पर है, लेकिन यह सिर्फ राष्ट्रवादी सोच के अलावा कुछ नहीं है। अब तक, चीनी सीमा रक्षा सैनिकों ने सीमा नियंत्रण उपायों को बढ़ावा दिया है और नई दिल्ली की ओर से गलवान घाटी क्षेत्र में सीमा नियंत्रण की स्थिति को एकतरफा बदलने के हालिया प्रयास के जवाब में आवश्यक कदम उठाए गए।

चीनी अखबार लिखता है कि पश्चिमी मीडिया ने भी इस समय चीन की बाजार क्षमता की तुलना करके भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में उत्साह बढ़ाया है, जिसने कुछ भारतीयों को वास्तविक स्थिति को लेकर भ्रम पैदा करना है जो वास्तविकता से परे है। चीन और अमेरिका के बीच तनाव, भारत के लिए औद्योगिक श्रृंखलाओं को आकर्षित करने का एक अवसर नहीं है, क्योंकि दक्षिण एशियाई देश अपने खराब बुनियादी ढांचे, कुशल लेबर की कमी और कठोर विदेशी निवेश प्रतिबंधों को देखते हुए इस तरह के मैन्यूफैक्चरिंग शिफ्टिंग को हासिल करने के लिए तैयार नहीं हैं।

 

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भारत की रणनीति पर निशाना साधते हुए ग्लोबल टाइम्स कहता है कि भारत अगला विश्व कारखाना बनने का सपना देख रहा है, और मोदी सरकार ने उस लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न पहल भी शुरू की हैं, जैसे कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान, जो दुनिया को ज्यादा प्रभावित नहीं कर सकी। अभी की परिस्थिति मे भारत को हर कदम गंभीरता से उठाने की जरुरत है न हवा-हवाई बातें करने की।