
प्रतीकात्मक तस्वीर
खास बातें
- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य सरकार को दिया आदेश
- रेड जोन से आने वाले लोगों को प्रदेश की सीमा पर ही पृथक किए जाए
- कहा- उसे संचालित करने का हरसंभव प्रयास करे
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य सरकार को रेड जोन से आने वाले लोगों को प्रदेश की सीमा पर ही पृथक किए जाने के निर्देश दिए. सच्चिदानंद डबराल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने निर्देश दिया कि राज्य के हर सीमा बिंदु पर राज्य सरकार पृथक-वास केंद्र स्थापित करने और उसे संचालित करने का हरसंभव प्रयास करे. अदालत ने कहा कि इन केंद्रों में रेड जोन से आने वाले सभी लोगों को एक सप्ताह की अवधि के लिए रखा जाएगा और इनमें से जिनमें भी लक्षण दिखेंगे, उनका आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के तहत आरटी-पीसीआर परीक्षण कराया जाएगा.
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न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने कहा कि हम लोगों के आगमन के विरुद्ध नहीं हैं. उनका यहां आने का पूरा अधिकार है. हमारी चिंता केवल यह है कि इस मुश्किल समय में सीमाओं पर सही ढंग से स्क्रीनिंग हो. सुनवाई के दौरान सरकार ने माना कि अभी सीमा पर किए जा रही वर्तमान जांच केवल थर्मल स्क्रीनिंग और सामान्य क्लिनिकल परीक्षणों तक ही सीमित है. इस पर अदालत ने कहा कि यह पर्याप्त उपाय नहीं है और हम बेहतर कर सकते हैं.
सरकार ने अदालत को यह भी सूचित किया कि दो लाख से ज्यादा व्यक्तियों के उत्तराखंड आने की संभावना है. राज्यों की सीमाएं खुलने के बाद से 90 हजार से ज्यादा लोग उत्तराखंड पहुंच चुके हैं और दैनिक आधार पर विभिन्न सीमा बिंदुओं से 6000-7000 व्यक्ति उत्तराखंड में प्रवेश कर रहे हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)