
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिलहाल ट्रेनें चलाए जाने पर आपत्ति जताई है.
मंगलवार से दिल्ली और देश के अन्य भागों से चलने वाली ट्रेनों के परिचालन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपत्ति जताई है. सोमवार को पीएम मोदी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस में नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर अपना विरोध सार्वजनिक करते हुए यह तक कहा कि पूर्व रेल मंत्री होने के नाते रेल मंत्री पीयूष गोयल जी से मेरा आग्रह है कि इस निर्णय पर पुनर्विचार करें.
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हालांकि इसी बैठक में नीतीश कुमार ने अगले सात दिनों के अंदर बिहार के लिए अधिक से अधिक ट्रेनें भी चलाने का अनुरोध किया उसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि नीतीश कुमार चाहते हैं कि जितने भी प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं वो जल्द से जल्द अपने घर वापस लौटे. इसके बाद उनकी जांच की व्यवस्था की जाएगी. नीतीश कुमार ने जांच के लिए भी और अधिक सुविधा देने की मांग की. बिहार मुख्यमंत्री ने कहा कि वो चाहते हैं कि राज्य में कम से कम हर दिन 10 हज़ार व्यक्तियों की जांच होनी चाहिए और इसका कारण यह बताया जा रहा है कि पिछले दिनों बिहार में जो श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से लोग आए हैं उनमें अब तक 185 से अधिक लोग संक्रमित पाए गए हैं.
नीतीश कुमार के समर्थकों का यह भी कहना है कि दिक़्क़त इस बात को लेकर भी है कि अगर आप राजधानी से आने वाले और जाने वाले यात्रियों को घर जाने की सुविधा देते हैं और श्रमिक विशेष ट्रेनों से आने वाले लोगों को क्वॉरंटीन में रखते हैं तो कहीं न कहीं जनता के बीच सरकार की छवि अमीर और गरीबों के प्रति भेदभाव वाली बनती है. जो कि नीतीश नहीं चाहते हैं. चुनावी साल में वो बैठे बैठाए विपक्ष को कोई ऐसा मुद्दा भी नहीं देंगे. दरअसल, जो मजदूर विशेष ट्रेनों से लौट कर आ रहे हैं वे पहले से नौकरी जाने से काफ़ी परेशान हैं. साथ ही उनको आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ रहा है.