चिराग़ पासवान की नीतीश कुमार को सलाह, ‘उतर प्रदेश सरकार की तरह आप भी मज़दूरों को वापस लाएं'

कोरोना महामारी के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जितनी आलोचना अपने राजनीतिक विरोधियों से नहीं झेलनी पड़ी उससे ज़्यादा उनके सहयोगी दल भाजपा और लोक जनशक्ति पार्टी की सहनी पड़ रही है.

चिराग़ पासवान की नीतीश कुमार को सलाह, ‘उतर प्रदेश सरकार की तरह आप भी मज़दूरों को वापस लाएं'

लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (फाइल फोटो)

पटना:

कोरोना महामारी के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को जितनी आलोचना अपने राजनीतिक विरोधियों से नहीं झेलनी पड़ी उससे ज़्यादा उनके सहयोगी दल भाजपा और लोक जनशक्ति पार्टी की सहनी पड़ रही है. सोमवार को लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने तो नीतीश कुमार को एक पत्र लिखकर यहां तक कह डाला कि जिस भी तरह हो, चाहे रेल मार्ग से या जिस तरीक़े से उत्तर प्रदेश सरकार अपने लोगों को सड़क़ के माध्यम से अपने प्रदेश वापस लेकर आयी है, मैं चाहूंगा बिहार सरकार भी सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मज़दूरों को वापस लाने की हर संभावना को सुनिश्चित करे.

चिराग़ के इस पत्र का साफ़ अर्थ निकाला जा रहा है कि वो नीतीश कुमार के मज़दूरों को वापस लाने के अब तक के प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं और उन्हें अपनी नीतीश कुमार की आलोचना सार्वजनिक रूप से करने में कोई परहेज़ नहीं है. इस पत्र में चिराग में बिंदुवार कई चीज़ों का उल्लेख किया है. नीतीश कुमार को चिराग़ ने ये भी सलाह दे डाली कि जिन राज्यों में बिहार के मज़दूर फंसे हैं वहां के मुख्यमंत्रियों से सम्पर्क कर उनके रहने और खाने की उचित व्यवस्था करें. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि बिहार सरकार द्वारा जारी हेल्प्लाइन नम्बर कोई नहीं उठाता. उन्होंने फार्म भरने जैसे व्यावहारिक दिक़्क़तों का भी उल्लेख किया कि हर मज़दूर के पास स्मार्ट फ़ोन नहीं है.

हालांकि चिराग़ इससे पूर्व भी नीतीश कुमार के प्रवासी मज़दूरों के समस्या की हैंडलिंग पर सवाल उठा चुके हैं. लेकिन जनता दल यूनाइटेड के नेताओं का कहना है कि उन्होंने कुछ ज़्यादा मर्यादा लांघ दी. सत्ता में सहयोगी होने के कारण उनका ये पत्र और उसे सार्वजनिक करना नीतीश समर्थकों को रास नहीं आया. हालांकि चिराग़ समर्थक कहते हैं कि नीतीश कुमार क़ानून की आड़ में प्रवासी मज़दूर हों या छात्र उनका रवैया काफ़ी असंतोषजनक रहा हैं.

इस पत्र में चिराग़ ने अंत में नीतीश कुमार को हर मजदूर की टेस्टिंग सुनिश्चत करने का भी अनुरोध किया. लेकिन निश्चित रूप से नीतीश कुमार को ना उनका पत्र ना ही उनके लिखने का अन्दाज़ पसंद आया होगा जिससे दोनों दलों के बीच रिश्ते में और कटुता आने का क़यास लगना शुरू हो गया है.

 
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