
बिहार सरकार ने रेलवे को दिल्ली से लौट रहे प्रवासी मजदूरों से किराया लेने को कहा है.
शुक्रवार दोपहर नई दिल्ली स्टेशन से बिहार के मुजफ्फरपुर के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन रवाना हुई. जिसमें दिल्ली के रैन बसेरों में रह रहे 1,200 प्रवासी मजदूर रवाना किए गए. रेलवे ने कहा है कि जिस राज्य से लोगों को लाया जा रहा है और जिस राज्य में लोगों को छोड़ा जा रहा है वहां की दोनों राज्य सरकारें आपस में फैसला करके बताएं कि इनका किराया कौन देगा. इस मामले में बिहार सरकार ने कहा कि रेलवे मजदूरों से किराया ले ले और जब वह बिहार पहुंचेंगे तब हम उनको किराए का पैसा लौटा देंगे और जब यह प्रवासी मजदूर अपना 14 दिन क्वारन्टीन पीरियड पूरा कर लेंगे तब हम इनको 500 रुपये और देंगे.
दिल्ली सरकार ने कहा कि लॉकडाउन में फंसे हुए मजदूर किराया कहां से देंगे? ऐसा किया जाए कि रेलवे को किराए का पैसा दिल्ली सरकार दे और बिहार सरकार दिल्ली को किराया लौटा दे. दिल्ली सरकार ने रेलवे को ट्रेन का खर्च दे दिया है लेकिन अभी तक बिहार सरकार ने इस पर जवाब नहीं दिया है या दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर सहमति नहीं जताई है.
चूंकि दिल्ली सरकार रेलवे को पैसा दे चुकी है ऐसे में मजदूरों पर तो कोई संकट नहीं है. बिहार सरकार कह रही है कि 8 मई को मजदूर रेलवे को टिकट का किराया दें और 9 मई को जब वे मुज़फ़्फ़रपुर पहुंचेंगे तो बिहार सरकार उनका पैसा लौटा देगी. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर बिहार सरकार गरीब मजदूरों की जेब से पैसा क्यों निकलवाना चाहती है ? क्यों नहीं बिहार सरकार पहले ही रेलवे को पैसा दे देती या दिल्ली सरकार को मना कर देती कि आप पैसा मत दीजिए पैसा हम देंगे?
आपको बता दें कि गुरुवार को नई दिल्ली स्टेशन से मध्य प्रदेश के छतरपुर ट्रेन गई है जिसका सारा खर्चा मध्यप्रदेश सरकार ने उठाया है.