
लखनऊ: अपनी गतिविधियों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले विधायक अमनमणि त्रिपाठी का एक पत्र सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद राज्य सरकार ने अपना पक्ष साफ किया हैं।
सरकार की तरफ से कहा गया है कि उत्तराखंड जाने के लिए अमनमणि त्रिपाठी को यूपी सरकार द्वारा अधिकृत नहीं किया गया था। . विधायक अमनमणि त्रिपाठी अपने कृत्यों के लिए स्वयं उत्तरदायी हैं।
बतातें चलें कि आज उत्तराखण्ड पुलिस ने विधायक अमनमणि त्रिपाठी को जबरल बद्रीनाथ जाने पर उन्हे हिरासत में ले लिया था। कहा जा रहा है कि इस पत्र में निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी के साथ 12 अन्य लोगों को देहरादून से बद्रीनाथ जाने की परमिशन दी गयी थी।
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यूपी सरकार के एक पत्र के आधार पर देहरादून जिला प्रशासन ने यूपी के निर्दलीय विधायक त्रिपाठी सहित 12 लोगों को बदरीनाथ और केदारनाथ जाने के लिए पास जारी किया था, लेकिन इन्हें चमोली जिले के बॉर्डर से बदरीनाथ के कपाट न खुलने का हवाला देते हुए वापस लौटा दिया गया था।
अमन मणि त्रिपाठी तीन वाहनों में करीब 10 लोगों के साथ उत्तर प्रदेश से आए थे। पर बाद में लाॅकडाउन के चलते स्क्रीनिंग के लिए तैनात डॉक्टरों और प्रशासन के अधिकारियों ने उन्हें गौचर बैरियर पर रोक दिया गया लेेकिन उन्होंने रुकने से इनकार कर दिया और कर्णप्रयाग की ओर बढ़ गए।
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नियमों को ताक पर रखकर जारी हुआ था पास
मिली जानकारी के अनुसार लाकडाउन के दौरान ओरेंज जोन से ग्रीन जोन में जाने को पास जारी करने के सख्त मानक हैं। इसके बावजूद मानकों को ताक पर रख कर अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री ओमप्रकाश के पत्र के आधार पर देहरादून जिला प्रशासन ने यूपी के विधायक अमनमणि त्रिपाठी समेत नौ लोगों को बदरीनाथ, केदारनाथ धाम जाने की मंजूरी दी।
बताया जा रहा है कि यूपी सरकार ने इस सम्बन्ध में एक पत्र जारी किया था जिसके आधार पर ही उत्तराखण्ड सरकार ने यह पत्र जारी किया था।
लेकिन इस पत्र के बारे में कहा जा रहा है कि यह पत्र यूपी सरकार की तरफ से नहीं जारी किया गया था बल्कि इसे खुद ही विधायक अमनमणि त्रिपाठी के सहयोगियों ने तैयार किया था।
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