
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो).
Lockdown: बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार सरकार के लॉकडाउन के दौरान विगत 40 दिनों के क्रियाकलापों का आकलन करें तो बिहार के माननीय मुख्यमंत्री जी प्रशासनिक क्षमता, संवाद, संवेदना, दूरदर्शिता आदि पैमानों पर पूरी तरह से विफ़ल नज़र आए. ख़ुद की मांग, ख़ुद ही खंडन, ख़ुद का आग्रह, ख़ुद ही हाथ खड़े कर देना. कभी ट्रेन बंद करवाने का आग्रह करते हैं. कभी मज़दूरों की वापसी का कड़ा विरोध करते हैं. उन्हें बिहार में घुसने नहीं देंगे जैसी धमकी देते हैं. फिर जब अधिकांश राज्य सरकारें अपने प्रदेश वासियों को वापस बुलाना शुरू करती हैं तो नियमों का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेते हैं. जब नियमों में संशोधन होता है तो कहते हैं हमारी 15 सालों की सुशासनी सरकार के पास संसाधन नहीं हैं. फिर अपनी ही ट्रेन बंद करवाने के आग्रह से पलट ट्रेन शुरू करवाने का आग्रह करते हैं. ट्रेन शुरू होती है तो फिर कहीं कोई व्यवस्था नहीं.
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उन्होंने कहा है कि हमने 30 मार्च को ही सभी अप्रवासी श्रमवीरों को विशेष रेलगाड़ियों द्वारा वापस बुलाने की मांग की थी. उस वक्त जो भी मज़दूर वापस लौटे थे उनमें कोई भी कोरोना पॉज़िटिव नहीं था. लेकिन हमारी बात को बचकाना कह कर ख़ारिज कर दिया. फिर दूसरा लॉकडाउन शुरू हुआ तब 15 अप्रैल को हमने बारंबार ट्रेन चलाने का विशेष आग्रह किया लेकिन फिर हमारा मज़ाक़ उड़ाया गया.
उन्होंने कहा है कि हमने बाद में 2000 बसें देने का भी ऑफ़र किया. लगातार टेस्टिंग और स्वास्थ्य सुरक्षा और उपचार संबंधित उपकरणों की अनुपलब्धता पर भी हम वास्तविक जानकारी, सलाह और सुझाव देते रहे लेकिन अहंकारी और अदूरदर्शी सरकार ने नहीं सुना. इनका एक सूत्री अजेंडा हमारे सकारात्मक सुझावों के विपरीत जाना रहा. हमने जो-जो महीने पहले कहा वो सरकार को अब करना पड़ रहा है.