
प्रतीकात्मक फोटो.
Coronavirus Lockdown: उद्योग जगत ने 20 अप्रैल से उद्योग को चुने हुए कोरोना फ्री इलाकों में सीमित राहत का स्वागत किया है. लेकिन एसोचेम (ASSOCHAM) ने कहा है कि लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था को प्रति दिन 26000 करोड़ का नुकसान होने का अंदेशा है. अब उद्योग जगत की मांग है कि सरकार बिज़नेस को हुए लाखों करोड़ के नुकसान के लिए एक रिलीफ और इकानोमिक स्टिमुलस पैकेज लेकर आए.
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कोरोना फ्री इलाकों में 20 अप्रैल से सीमित राहत उद्योग जगत के लिए बड़ी खबर है. तीन हफ्ते से ठप्प पड़े कारखानों को अगले हफ्ते से धीरे-धीरे खोलने की कवायद शुरू होगी. उद्योग जगत कई लाख करोड़ के नुकसान का अंदेशा जता रहा है.
एसोचेम के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ निरंजन हीरानंदानी ने एक बयान जारी कर बुधवार को कहा कि लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था को रोज़ 26,000 करोड़ के नुकसान की आशंका है. ऐसे में लॉकडाउन से छूट एक सही फैसला है. कंस्ट्रक्शन वर्करों को साइट पर रखना मुश्किल होता जा रहा था.
अब उद्योग जगत की मांग है कि उसे जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई के लिए सरकार एक राहत पैकेज लेकर आए. फिक्की की अध्यक्ष डॉ संगीता रेड्डी ने एक बयान जारी कर कहा --
अब ये ज़रूरी होगा कि सरकार एक राहत और आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करे जिससे रोज़गार और कारोबार की सुरक्षा बहाल रखी जा सके.
फिक्की पहले ही सरकार से गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए 9 लाख से 10 लाख करोड़ तक के निवेश की मांग रख चुका है. जबकि एसोचेम ने सरकार से मांग की है कि हालत को संभालने के लिए करीब 15 लाख करोड़ अर्थव्यवस्था में निवेश करने की ज़रूरत होगी
करीब तीन हफ्ते से बंद पड़े कारखानों को फिर से शुरू करना आसान नहीं होगा. चुनौती इसके लिए जरूरी पूंजी जुटाने के साथ-साथ मज़दूरों को भी इकट्ठा करने की होगी. कई लाख मज़दूर पलायन कर चुके हैं और कुछ पिछड़े इलाकों में वर्करों को इकट्ठा करना एक चुनौती हो सकता है.