जो दो लाख मज़दूर-छात्र लॉकडाउन में बिहार लौटे, उनमें से कोई भी पॉज़िटिव नहीं था : मंत्री

नीतीश सरकार के मंत्री ने आगे कहा कि फिलहाल बिहार के लोगों को वापस लाने में उनकी सरकार समर्थ नहीं है.

जो दो लाख मज़दूर-छात्र लॉकडाउन में बिहार लौटे, उनमें से कोई भी पॉज़िटिव नहीं था : मंत्री

प्रतीकात्मक तस्वीर

पटना:

लॉकडाउन के बीच घर लौटने की उम्मीद में मंगलवार को मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन में काफी संख्या में प्रवासी मजदूर एकत्र हुए. लोगों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ना. अफवाहों को इस घटना के पीछे की वजह माना जा रहा है.  दरअसल, लोगों का कहना है कि अफवाह उड़ाई गई थी कि 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन को लेकर थोड़ी ढील दी जाएगी. इस घटना को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया आई है. इस बीच, बिहार की नीतीश सरकार में मंत्री संजय झा ने कहा कि जिन लोगों ने इस तरह की अफवाहें फैलाई हैं, उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए. 

जेडीयू नेता ने आगे कहा कि फिलहाल बिहार के लोगों को वापस लाने में उनकी सरकार समर्थ नहीं है. उन्होंने माना कि इससे पहले करीब दो लाख प्रवासी मजदूर या छात्र बिहार लौटे हैं लेकिन कोई भी कोरोना पॉजिटिव नहीं था.  दरअसल, कोरोनावायरस को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया है ताकि कोरोनावायरस को फैलने से रोका जा सके. इसके तहत लोगों से अपील की गई है कि जहां हैं, वहीं रुके रहें, कहीं जाने की कोशिश नहीं करे. सरकार लोगों के रहने और खाने की व्यवस्था करेगी. हालांकि, फिर भी प्रवासी मजदूर अपने मूल स्थान लौटने की कोशिश कर रहे हैं. 

हाल ही में नीतीश कुमार सरकार में मंत्री संजय झा ने लॉकडाउन को लेकर सवाल उठाये थे. उन्होंने कहा था कि कोरोनावायरस से लड़ने के लिए लागू किया गया लॉकडाउन नाकाम हो चुका है, और इसके लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ज़िम्मेदार है. उन्होंने कहा, "लॉकडाउन का मकसद था, जो जहां है, वहीं रहे... और इसी को ध्यान में रखकर हमने सभी इंतज़ाम किए थे.

वीडियो: अफवाहों से बचने के लिए भारतीय रेलवे ने की लोगों से अपील

 
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