सीकर की आंदोलनरत बहनो ने माकपा विधायक कामरेड बलवान पुनीया के राखी बांधकर विधानसभा मे एनपीआर का मुद्दा उठाने की मांग की
अशफाक कायमखानी / सीकर / जयपुर
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ व पंगाल एवं केरल के मुख्यमंत्रियो सहित अन्य कुछ मुख्यमंत्रियों के बाद आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी एनपीआर पर अपना स्टेण्ड क्लीयर करते हुये कहा कि बिहार मे ना सीएए लागू होगा ओर ना ही एनपीआर होगा। लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सीएए के खिलाफ विधानसभा मे प्रस्ताव पास करने के बावजूद अभी तक एनपीआर पर अपना स्टेण्ड क्लीयर नही करने से जनता मे असमंजस की स्थिति के साथ चिंताजनक हालात बने हुये है।
पूर्व आईएएस कनन गोपीनाथ भी आज जयपुर के शाहीनबाग पहुंच कर गहलोत सरकार से एनपीआर पर रुख स्पष्ट करने की मांग रखी वही सीकर के शाहीनबाग पहुंचे माकपा विधायक कामरेड बलवान पुनीया के आंदोलनरत बहनो ने राखी बांधकर व ज्ञापन देकर विधानसभा मे एनपीआर का मुद्दा उठाने की मांग की है।
राजस्थान कांग्रेस के राजस्थान मे मोजूद सभी नो मुस्लिम विधायकों (नो रत्न) द्वारा मुख्यमंत्री को एक सामुहिक पत्र लिख कर उनके द्वारा 2013-14 के बजट मे मुस्लिम समुदाय के लिये की गई अनेक घोषणाओं मे से मामूली तीन घोषणाओं को फिर से नये बजट 2020-21 मे शामिल करने की मांग के बावजूद उनके द्वारा तीन दिन पहले विधानसभा मे रखे गये राज्य बजट मे उन तीनो बिन्दुओं का जीक्र तक नही होने से उनके उन नो रत्नो की हालत समाज मे इधर कुआं ओर उधर खाई जैसी होने से समाज मे संदेश गया कि किसी भी मुस्लिम विधायक का असर मुख्यमंत्री किसी भी स्तर पर नही लेते है। बजट 2020-21 की घोषणाओं मे मुस्लिम समुदाय अपने आपको ठगा हुवा महसूस करने के चलते अब राजस्थान की जनता मुख्यमंत्री के एनपीआर पर अपना स्टेण्ड क्लीयर नही करने के कारण असमंजस की स्थिति मानने लगी है। स्टेण्ड अभी तक क्लीयर नही होने से जनता के माथे की चींता की लकीरे बढने लगी है।
हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत जयपुर मे सीएए के खिलाफ महिलाओं द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन स्थल शाहीनबाग मे मंत्री सुभाष गर्ग , विधायक हाकम खान, विधायक आमीन कागजी व रफीक खान के अलावा वक्फ बोर्ड चेयरमैन डा.खानू खान के साथ आकर आंदोलनरत महिलाओं के साथ समर्थन जताते हुये लम्बा भाषण भी दिया था। लेकिन उस दिन शाहीनबाग मे गहलोत के दिये भाषण मे एनपीआर का किसी भी रुप मे जीक्र नही करने से प्रदेश के सामाजी कारकूनो के अलावा सभी सेक्युलर जेहन के लोगो मे एनपीआर को लेकर उसके बाद से आशंका का भाव घर कर करने लगा।
सीएए व एनपीआर की जटिलताओं को समझने वाले कारकूनो का कहना है कि सीएए से एनपीआर कई गुणा खतरनाक है। एनआरसी का रास्ता एनपीआर होते हुये जाता है। फिर भी राजस्थान सरकार के एनपीआर पर अभी तक स्टेण्ड क्लीयर नही करने से भ्रम की स्थिति बनी हुई है। अपुष्ट सुत्रोनुसार बताया जा रहा है सरकार ने एनआरसी एक्ट के तहत होने वाली जनसंख्या (एनपीआर) के लिये सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने के आदेश जारी कर दिये है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत के नो रत्न (सभी मुस्लिम विधायको) का मुख्यमंत्री पर दबाव बनाने का आंकलन बजट मे मुस्लिम समुदाय के खाली हाथ होने से करने के बाद अब माना जा रहा है कि विधायको की बजाय अवामी स्तर पर दबाव बनाया जाय ताकि मुख्यमंत्री एनपीआर पर अपना स्टेण्ड फरवरी माह पुरा होने से पहले पहले करे।
कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र मार्च माह के मध्य तक चलने का अनुमान लगाया जाने के बावजूद राजस्थान की जनता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा विधानसभा के अंदर या बाहर एनपीआर पर अपना स्टेण्ड क्लीयर नही करने से काफी चिंतीत व असमंजस मे दिखाई दे रही है। जनता मुख्यमंत्री द्वारा एनपीआर पर जल्द से जल्द उनका स्टेण्ड क्लीयर करने की उम्मीद लगाये हुये है। दूसरी तरफ सीकर मे चल रहे शाहीनबाग की आंदोलनरत बहनो ने माकपा विधायक कामरेड बलवान पुनीया के राखी बांधकर व ज्ञापन देकर एनपीआर के खिलाफ राजस्थान विधानसभा मे सवाल उठाने की मांग की है। पूर्व आईएएस कनन गोपीनाथ भी आज जयपुर के शाहीनबाग पहुंच कर आंदोलनरत महिलाओं को सम्बोधित करते हुये गहलोत सरकार से एनपीआर पर रुख स्पष्ट करने की मांग रखी।