कांग्रेस ने आयोग को बताया मोदी का पिट्ठू
AGENCIES / NEW DELHI
लोकसभा चुनाव के खत्म होते-होते चुनाव आयोग में भी मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं. पीएम मोदी को चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में चुनाव आयोग की क्लीन चिट को लेकर चुनाव आयुक्तों के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयुक्त अशोक लवासा (Ashok Lavasa) की 4 मई को मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा (Sunil Arora) को लिखी एक चिट्ठी सामने आई है.
सूत्र बताते हैं कि चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को लिखे पत्र में यह बात भी कही है कि उनकी मांग के अनुरूप व्यवस्था नहीं बनने तक वह बैठक में ही शामिल नहीं होंगे. कई विवादित फैसले लेने के कारण चुनाव आयोग निशाने पर है.
आयोग के आचार संहिता तोड़ने संबंधी कई फैसलों पर असहमति जताने वाले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को पत्र लिखकर मांग की है कि आयोग के फैसलों में आयुक्तों के बीच मतभेद को भी आधिकारिक रिकॉर्ड पर शामिल किया जाए.
अशोक लवासा देश के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की कतार में हैं और सूत्रों के मुताबिक लवासा आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को सीधे-सीधे लगातार क्लीन चिट और विरोधी दलों के नेताओं को नोटिस थमाए जाने के खिलाफ रहे हैं.
केंद्रीय चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा का बयान
अशोक लवासा की कथित चिट्ठी पर केंद्रीय चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बयान जारी कहा है कि समिति की तीनों सदस्य एक दूसरे का क्लोन नहीं हो सकते हैं. इससे पहले भी कई मामलों में आपस में एक दूसरे के नजरिए अलग-अलग रहे हैं और जहां तक हो सके ऐस होना भी चाहिए. लेकिन इससे पहले सभी मतभेद चुनाव आयोग कार्यालय के अंदर ही रहे. ऐसे वक़्त में विवाद से बेहतर खामोशी है. सुनील अरोड़ा ने यह भी कहा कि आचार संहिता के मामलों को लेकर चुनाव आयोग की अंदरुनी गतिविधियों पर जो विवादित खबरें मीडिया में चल रही हैं उसको टाला जा सकता था. गौरतलब है कि पीएम को चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में चुनाव आयोग की क्लीन चिट को लेकर चुनाव आयुक्तों के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं.
21 मई को चुनाव आयोग की बैठक
चुनाव आयोग में फैसले को लेकर हो रहे विवाद और लवासा की ओर से पत्र लिखे जाने को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा, ‘चुनाव आयोग में 3 सदस्य होते हैं और तीनों एक-दूसरे के क्लोन नहीं हो सकते. मैं किसी भी तरह के बहस से नहीं भागता. हर चीज का वक्त होता है.’
चुनाव आयोग में शीर्ष अधिकारियों के बीच जारी विवाद पर के बीच अब 21 मई को आयोग की अहम बैठक होने वाली है. इस बैठक पर अब सभी की नजर है कि इसमें चुनाव आयुक्त अशोक लवासा शामिल होते हैं या नहीं. चुनाव आयोग ने दावा किया है कि ये सब उसका ‘आंतरिक मामला’ है. लेकिन आयोग का ‘आंतरिक मामला’ मीडिया में आने के बाद चुनाव आयुक्त लवासा का बैठक में आना या गैरहाजिर रहना दोनों ही सुर्खियों में तो रहेगा ही.
चुनाव आयोग मोदी का पिट्ठूः कांग्रेस
दूसरी ओर, इस विवाद पर कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग मोदी का पिट्ठू बना चुना है, अशोक लवासा की चिट्ठी से साफ है कि सीईसी और उनके सहयोगी लवासा के बीच नरेंद्र मोदी और अमित शाह को लेकर जो अलग मत है, उसे रिकॉर्ड करने को तैयार नहीं हैं.
इससे पहले सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग की बैठक में अपने अलग मत की वजह से सुर्खियों में रहे अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखी चिट्ठी में कहा है कि 3 सदस्यीय आयोग में एक सदस्य का भी विचार भिन्न हो तो उसे आदेश में बाकायदा लिखा जाए. लवासा चुनाव आयोग में सुप्रीम कोर्ट जैसी व्यवस्था चाहते हैं. जिस तरह से कोर्ट की खंडपीठ या विशेष पीठ में किसी केस की सुनवाई के बाद फैसला सुनाते वक्त अगर किसी जज का फैसला सहमति से लिए गए फैसले के उलट रहता है तो भी उसका फैसला रिकॉर्ड किया जाता है.