
लखनऊ: पूरे विश्व में कला का एक अलग महत्व है।कला को आंग्ल भाषा में आर्ट बभी कहा जाता है। कला को ये महत्व अभी से नही बल्कि हजारों वर्षों से दिया जा रहा है।
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पुरानी संस्कृति को दर्शाना हो, अपने विचारों को बताना हो या फिर अपनी रचनात्मकता के जरिये किसी नई बात या नए मंजर को दूसरे के सामने यदि चित्र,नृत्य या आलेख्य जैसे इत्यादि माध्यम से दिखाया जाये अथवा प्रकट किया जाए, तो उसे कला कहते हैं।
आज विश्व कला दिवस के मौके पर ‘सेव द डेट’ थीम के साथ पूरा विश्व कला के बारे में जागरूक करेगा। यही नहीं आज के दिन विश्व भर में ललित कलाओं को लेकर तरह तरह के जागरूकता कार्यक्रम चलाये जाएंगे। यह दिन लियोनार्डो डा विंकी की याद में मनाते हैं आज ही के दिन इनका जन्म हुआ था।
पहली बार विश्व कला दिवस 2015 में लॉस एंजिलिस में मनाया गया था जिसमें यह कहा गया था कि कला को आगे बढ़ाने का काम करना चाहिए जिससे ये लोगों के दिलों तक पहुंच सके। उसके बाद से इसे प्रतिवर्ष मनाने का प्रण लिया गया जिसको मद्देनजर पिछले साल भारत में भी ये मनाया गया। कोलकाता के कार्यक्रम में हजारों कलाकारों ने शिरकत की थी जिसे उन्हीं के द्वारा मनाया गया था।
ललित कला क्या है?
गीत, संगीत, नृत्य, नाट्य, और विभिन्न प्रकार की ऐसी चित्रकलाएँ जिसमें हम अपने मनोभाव को प्रगट करते हैं, ललित कलाएं कही जाती हैं।
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जानिए 64 कलाओं के बारे में–
भारतीय मनीषियों के अनुसार कला की संख्या काफी भिन्न हैं। कामसूत्र के अनुसार 64 कलाएं हैं, तो शुक्रनीति के अनुसार असंख्य कलाएं कही गयी हैं, लेकिन इसमें भी 64 कलाओं को माना गया है।
(1) गायन
(2) वादन
(3) नर्तन
(4) नाटय
(5) आलेख्य (चित्र लिखना)
(6) विशेषक (मुखादि पर पत्रलेखन)
(7) चौक पूरना, अल्पना
(8) पुष्पशय्या बनाना
(9) अंगरागादिलेपन
(10) पच्चीकारी
(11) शयन रचना
(12) जलतंरग बजाना (उदक वाद्य)
(13) जलक्रीड़ा, जलाघात
(14) रूप बनाना (मेकअप)
(15) माला गूँथना
(16) मुकुट बनाना
(17) वेश बदलना
(18) कर्णाभूषण बनाना
(19) इत्र यादि सुगंधद्रव्य बनाना
(20) आभूषणधारण
(21) जादूगरी, इंद्रजाल
(22) असुंदर को सुंदर बनाना
(23) हाथ की सफाई (हस्तलाघव)
(24) रसोई कार्य, पाक कला
(25) आपानक (शर्बत बनाना)
(26) सूचीकर्म, सिलाई
(27) कलाबत्
(28) पहेली बुझाना
(29) अंत्याक्षरी
(30) बुझौवल
(31) पुस्तकवाचन
(32) काव्य-समस्या करना, नाटकाख्यायिका-दर्शन
(33) काव्य-समस्या-पूर्ति
(34) बेंत की बुनाई
(35) सूत बनाना, तुर्क कर्म
(36) बढ़ईगरी
(37) वास्तुकला
(38) रत्नपरीक्षा
(39) धातुकर्म
(40) रत्नों की रंगपरीक्षा
(41) आकर ज्ञान
(42) बागवानी, उपवनविनोद
(43) मेढ़ा, पक्षी आदि लड़वाना
(44) पक्षियों को बोली सिखाना
(45) मालिश करना
(46) केश-मार्जन-कौशल
(47) गुप्त-भाषा-ज्ञान
(48) विदेशी कलाओं का ज्ञान
(49) देशी भाषाओं का ज्ञान
(50) भविष्यकथन
(51) कठपुतली नर्तन
(52) कठपुतली के खेल
(53) सुनकर दोहरा देना
(54) आशुकाव्य क्रिया
(55) भाव को उलटा कर कहना
(56) धोखा धड़ी, छलिक योग, छलिक नृत्य,
(57) अभिधान, कोशज्ञान
(58) नकाब लगाना (वस्त्रगोपन)
(59) द्यूतविद्या
(60) रस्साकशी, आकर्षण क्रीड़ा
(61) बालक्रीड़ा कर्म
(62) शिष्टाचार
(63) मन जीतना (वशीकरण)
(64) व्यायाम।