
लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सरकारी कर्मचारियेां की वरिष्ठता निर्धारण में सरकार की भूमिका को न्यायकर्ता के समतुल्य बताते हुए येागी सरकार में अहम भूमिका रखने वाले अपर मुख्य सचिव, सचिवालय प्रशासन महेश कुमार गुप्ता को अदालत के एक आदेश की अवमानना करने का दोषी पाया है। कोर्ट ने सजा के बिन्दु पर सुनवाई के लिए गुप्ता को मंगलवार को तलब किया है।
यह आदेश जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने डॉ. किशोर टंडन व आठ अन्य की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर पारित किया।
दरअसल सरकार ने सहायक समीक्षा अधिकारियों की एक वरिष्ठता सूची 8 सितम्बर 2015 केा बनाई थी जिसे याची ने कोर्ट में चुनौती दी थी जिस पर उस सूची को 21 सितम्बर 2017 को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने, छह माह में नई सूची बनाने का आदेश दिया था। बावजूद इसके कोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी उक्त सूची के तीन अधिकारियों को प्रोन्नति दे दी गई।
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10 जुलाई 2018 को इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसे अदालत के आदेश की जानबूझ कर की गई अवमानना मानते हुए, महेश कुमार गुप्ता को तलब किया। लेकिन महेश कुमार गुप्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर, दो माह में आदेश का अनुपालन करने की बात कहते हुए, हाईकोर्ट के 10 जुलाई 2018 के आदेश पर स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया। इस बीच वरिष्ठता सूची को खारिज करने वाले आदेश को हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील के माध्यम से चुनौती भी दे दी गई। हालांकि दो सदस्यीय खंडपीठ ने महेश कुमार गुप्ता के खिलाफ चल रहे अवमानना के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।
सोमवार को अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान महेश कुमार गुप्ता की ओर से दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील की सुनवाई पूरी होने तक, अवमानना पर सुनवाई को रोकने का अनुरोध किया गया। कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि राज्य सरकार अपने कर्मचारियों के वरिष्ठता निर्धारण पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं अपना सकती है।
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कोर्ट ने कहा कि अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने जानबूझ कर कुछ कर्मचारियों के साथ वर्तमान मामले में भेदभाव किया व इस अदालत के आदेश की अवमानना की। इसके साथ कोर्ट ने महेश कुमार गुप्ता को मंगलवार को कोर्ट के समक्ष सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए हाजिर होने का आदेश जारी कर दिया ।