
सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली : राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर जारी विवाद की मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट थोड़ी देर में अपना फैसला सुनाने वाला है। आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर इस 5 सदस्यीय बेंच में शामिल हैं।
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गौरतलब है कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को प्रमुखता से कहा था कि मुगल शासक बाबर ने जो किया उसपर उसका कोई नियंत्रण नहीं है और उसका सरोकार सिर्फ मौजूदा स्थिति को सुलझाने से है। उसका मानना है कि मामला मूल रूप से तकरीबन 1,500 वर्ग फुट भूमि भर से संबंधित नहीं है बल्कि धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है।
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क्या कहा कोर्ट ने
चीफ जस्टिस्ट रंजन गोगोई ने कहा, ‘कोर्ट की निगरानी में मध्यस्थता की कार्यवाही गोपनीय रहेगी।’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता की कार्यवाही ऑन-कैमरा आयोजित की जानी चाहिए। मध्यस्थता प्रक्रिया फैजाबाद में आयोजित की जाएगी। इसकी अध्यक्षता जस्टिस एफएम कलीफुल्लाह करेंगे और इसमें श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू भी शामिल होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए बने पैनल को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 4 हफ्तों का समय दिया है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केस की मीडिया रिपोर्टिंग पर भी रोक लगा दी है।
जस्टिस खलीफुल्ला की अध्यक्षता में मध्यस्थता के लिए बनाए गए पैनल में श्री श्री रविशंकर भी होंगे।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि अयोधय्या विवाद में मध्यस्थता होगी।
बता दें कि अयोध्या मामले में इससे पहले भी पहले भी चार बार मध्यस्थता के प्रयास किए गए लेकिन असफल रहे।