दुबई इंटरनेशनल ऐकेडमिक सिटी के विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों का नामांकन बढ़ा


अनुकूल आर्थिक स्थिति, संशोधित वीजा नियमन, विश्व स्तर की शिक्षा सुविधाएं भारतीय छात्रों को यूएई में आकर्षित करती हैं


Dubai, United Arab Emirates

यूएई और भारत के बीच मजबूत होते व्यापार विनिमय के बीच दुबई के उच्च शिक्षा संस्थानों ने भारतीय छात्रों की संख्या में निरंतर वृद्धि देखी है।

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  • StudentsStudents at Dubai International Academic City (Photo: AETOSWire)
 
दुबई इंटरनेशनल एकेडेमिक सिटी में छात्र (फोटो: AETOSWire)
 
दोनों देशों के बीच लंबे समय से करीबी संबंध रहे हैं जो सांस्कृतिक, राजनीतिक और वाणिज्यिक संपर्कों पर आधारित हैं। हाल के समय में इनके संबंधों को नियमित उच्च स्तर के द्विपक्षीय दौरों से नई तेजी मिली है।

उच्च शिक्षा को समर्पित दुबई के सबसे बड़े समुदाय के रूप में दुबई इंटरनेशनल ऐकेडमिक सिटी के बारे में (डीआईएसी) ने 2018/2019 के दौरान नामांकन में वृद्धि देखी है। नए शिक्षा सत्र के लिए कुल 27,500 छात्रों का पंजीकरण हुआ है। इनमें भारतीय राष्ट्रीयता वाले छात्रों की संख्या में 62 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह 2012 से 2018 के दौरान  11,400 छात्र हैं।

वैसे तो भारत दुनिया भर में उच्च शिक्षा की सबसे बड़ी व्यवस्था का दावा करता है और सर्वोच्च ऐकेडमिक प्रदर्शन वाले भी यूनिवर्सिटी में प्लेसमेंट के मामले में जोरदार मुकाबले का सामना करते हैं। पर सच यह भी है कि भारतीय छात्र शिक्षा के लिए अग्रणी शिक्षा संस्थाओं की भी तलाश कर रहे हैं और यह न सिर्फ भारत में है बल्कि  विदेशों में भी। यूएई पूर्व और पश्चिम के मेल वाली मौके की जगह पर है इसलिए यह एक लोकप्रिय पसंद है। एक और कारण जो इसे बेहतर स्थिति में रखता है वह है, भारत से इसकी करीबी। देश के भिन्न शहरों से यहां पहुंचने का औसत समय करीब तीन घंटे है।

संशोधित वीजा नियमों, जीवन की गुणवत्ता, सुरक्षा और लागत-लाभ के फायदे के कारण भी उच्च शिक्षा के लिए यूएई पसंदीदा जगह बन गई है। दुबई में कई अग्रणी पश्चिमी विश्वविद्यालय अपने होम कैम्पस वाली डिग्री कम खर्च में देते हैं और यहां ट्यूशन फी से लेकर रहने के खर्चे कम हैं। यही नहीं, छात्रों के लिए दीर्घ अवधि के यूएई वीजा हासिल करना भी आसान है। इससे यहां रहना और नौकरी करना भी संभव है। इससे नए स्नातकों के लिए नौकरी तलाशने में लगने वाला समय और दबाव कम होता है और इसके बदले देश में विकसित प्रतिभा को अपने ही यहां रखने में सहायता मिलती है। इसके अलावा, यूएई वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के ट्रैवेल एंड टूरिज्म कंपीटिटवनेस रिपोर्ट 2017 में दूसरा सबसे सुरक्षित देश है। इससे पर्यटकों के साथ-साथ दुनिया भर के छात्रों के बीच इसकी साख बेहतर है।
 
डीआईएसी के प्रबंध निदेशक मोहम्मद अब्दुल्ला ने कहा, “जब दुनिया भर की आबादी इधर से उधर हो रही है तो हमें यूएई और विस्तृत क्षेत्र पर भारत के महत्वपूर्ण प्रभाव को स्वीकार करना चाहिए। युवाओं की आबादी के मामले में भारत का स्थान सबसे ज्यादा वाले देशों में एक है और इससे शिक्षा क्षेत्र में विकास को गति मिलने की संभावना है। बढ़ती संख्या में छात्र अंतरराष्ट्रीय अनुभव और इसके साथ विश्व स्तर की शिक्षा प्राप्त करना चाह रहे हैं इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि डीआईएसी के कैम्पस में भारतीय छात्रों का नामांकन बढ़ना जारी रहेगा। कई भारतीय विश्वविद्यालयों ने यहां अपनी उपस्थिति बना ली है और इनमें मणिपाल ऐकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, बिट्स पिलानी, एमिटी यूनिवर्सिटी दुबई और इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नालॉजी (आईएमटी) दुबई शामिल है।”

डॉ. एसवी कोटा रेड्डी, ऐकेडमिक प्रेसिडेंट, मणिपाल ऐकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन (एमएएचई) दुबई कैम्पस एक शिक्षा केंद्र के रूप में दुबई के भविष्य के आउटलुक को लेकर सकारात्मक हैथे। उन्होंने कहा, “यह देखकर अच्छा लगता है कि यूएई में भारतीय छात्रों का बाजार बढ़ रहा है। दुबई आने वाले भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है और एमएएचई को भी इस विकास का लाभ हुआ है। शैक्षिक उत्कृष्टता में छह दशक की हमारी विरासत और कैम्पस में छात्रों के रहने की सुविधा की उपलब्धता, भारत से छात्रों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा, कई तरह की संस्कृतियों का अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर, रोजगार की संभावनाएं और दुबई में मिलने वाली आधुनिक जीवनशैली इन खासियतों को काफी बढ़ा देती है। यह दिलचस्प है कि इंजीनियिरंग और आर्किटेक्चर जैसे परंपरागत स्ट्रीम के अलावा छात्र समकालीन डिग्री का विकल्प भी चुन रहे हैं और मैनेजमेंट के साथ मीडिया और कम्युनिकेशन की पढ़ाई भी कर रहे हैं। दाखिले की संपूर्ण प्रवृत्ति सकारात्मक दिखती है और हम आगामी शिक्षा सत्रों का इंतजार कर रहे हैं।”

ढेर सारे अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय और चुनने के लिए डिग्रियों के बीच एक शिक्षा केंद्र के रूप में दुबई अपनी स्थिति मजबूत करना जारी रखे हुए है और सुरक्षित माहौल मुहैया कराने के साथ यहां उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा भी हासिल की जा सकती है जो स्थानीय और दूसरे देशों के छात्रों के लिए समान रूप से उपलब्ध है।

डीआईएसी और बीएमआई द्वारा कराए गए एक बाजार अनुसंधान अध्ययन से पता चलता है कि विश्वविद्यालयों में सबसे ज्यादा छात्र भारत और चीन से आते हैं।
उल्लेखनीय है कि सर्वेक्षण में शामिल ज्यादातर उच्च शिक्षा संस्थान भारत को तेजी से बढ़ने वाले बाजार के रूप में देखते हैं। और यह अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ अगले तीन वर्षों के लिए है और चीन की तुलना में है। इस लिहाज से इनकी योजना अगले 12 महीने के लिए भारत में विपणन के अपने प्रयास बढ़ाने की है। इस अध्ययन से यह भी पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सबसे लोकप्रिय विषय कौन से हैं। बिजनेस और मैनेजमेंट सबसे ऊपर हैं, इसके बाद इंजीनियरिंग, अकाउंटिंग और फाइनेंस, सोशल साइंस और पॉलिटिक्स, तथा साइंस, टेक्नालॉजी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) आदि हैं।

एसटीईएम डिग्री के लिए मांग में वृद्धि अंतरराष्ट्रीय प्रवृत्ति के अनुकूल है और डीआईएसी विश्वविद्यालयों ने एसटीईएम डिग्री की संख्या में वृद्धि देखी है और कुल 142 डिग्री की पेशकश की जाती है जो विज्ञान, टेक्नालॉजी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में पेश किए जाते हैं। एसटीईएम प्रोग्राम के लिए मांग में वृद्धि अंतररा,ट्रीय प्रवृत्ति के अनुकूल है क्योंकि एसटीईएम व्यवसायों में रोजगार मिलने के मामलों में गैर एसटीईएम व्यवसाय क मुकाबले काफी तेजी से वृद्धि हुई और पिछले दशक के दौरान यह 24.4 प्रतिशत के मुकाबले 4.0 प्रतिशत रही।  

बिट्स पिलानी के दुबई कैम्पस के निदेशक डॉ. आरएन साहा ने कहा, “इंजीनियरिंग और टेक्नालॉजी में प्रोग्राम हमेशा ही भारतीय अंतरराष्ट्रीय छात्रों के बीच लोकप्रिय रहे हैं। डीआईएसी में बिट्स पिलानी कैम्पस में भारत से आने वाले आवेदनों की संख्या में वृद्धि हो रही है खासकर कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेकैनिकल इंजीनियरिंग, केमिकल इंजीनियरिंग और बायोटेक्नालॉजी जैसे विषयों में। हम छात्रों को प्रोफेसर्स, उद्योग के विशेषज्ञ और मंजे हुए पेशेवरों के बड़े समुदाय से चर्चा करने के कई मौकों की पेशकश करते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “दुबई में 200 से ज्यादा देशों के लोग रहते हैं और यहां का माहौल सुरक्षित है जो एजुकेशनल टूरिज्म और अच्छे कैरियर के लिए एकदम उपयुक्त है। उच्च शिक्षा वाले संस्थानों की विविधतापूर्ण रेंज डीआईएसी को दुनिया भर के छात्रों के लिए एक आकर्षक डेस्टिनेशन बनाती है।”

दुबई इंटरनेशनल ऐकेडमिक सिटी के बारे में

दुबई इंटरनेशनल ऐकेडमिक सिटी के बारे में (डीआईएसी) दुनिया का सबसे बड़ा फ्री जोन है जो उच्च शिक्षा को समर्पित है। इसकी स्थापना 2007 में हुई थी और यह टेकॉम (TECOM) समूह का भाग है। डीआईएसी इस क्षेत्र की प्रतिभा का विकास करने और यूएई की स्थापना एक ज्ञान आधारित इकनोमी के रूप में करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। इसके लिए यहां बहुस्तरीय शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना की गई है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं।

डीआईएसी 18 मिलियन वर्ग फीट के कैम्पस में स्थित है और इसमें अपने किस्म की अनूठी सुविधाएं हैं। यहां 9 देशों के 27 विश्वविद्यालय हैं। इनमें एमिटी यूनिवर्सिटी का दुबई कैम्पस, हेरिऑट-वाट (Heriot-Watt) यूनिवर्सिटी दुबई कैम्पस, यूनिवर्सिटी ऑफ वोलोंगांग (Wollongong)  दुबई, बिट्स पिलानी दुबई कैम्पस, हल्ट इंटरनेशनल बिजनेस स्कूल, मरडोक यूनिवर्सिटी दुबई और दि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेचेस्टर मिडिल ईस्ट सेंटर आदि शामिल हैं।

डीआईएसी 150 देशों के 27,500 छात्रों को 500 से ज्यादा सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, अंडरग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी प्रोग्राम की की पेशकश करता है और अपने मजबूत तथा प्रतिभाशाली शैक्षिक समुदाय के बल पर बढ़ना जारी रखे हुए हैं।

घोषणा (अस्वीकरण): इस घोषणा की मूलस्रोत भाषा का यह आधिकारिक, अधिकृत रूपांतर है। अनुवाद सिर्फ सुविधा के लिए मुहैया कराए जाते हैं और उनका स्रोत भाषा के आलेख से संदर्भ लिया जा सकता है और यह आलेख का एकमात्र रूप है जिसका कानूनी प्रभाव हो सकता है।

*स्रोत: AETOSWire

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