चंद्रबाबू नायडू के ड्रीम प्रोजेक्ट अमरावती में बन रहा है विश्वस्तरीय पर्यटन शहर


11573 एकड़ में फैले इस पर्यटन शहर में 2.2 लाख से अधिक लोगों के लिए खुलेंगे रोजगार के अवसर


New Delhi, Delhi, India

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  • TheThe Distinguished Panel at the Tourism City Workshop
  • TheThe August Gathering at the Andhra Pradesh Workshop at Vigyan Bhawan, New Delhi
 
आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीसीआरडीए) नायडू सरकार के सहयोग से सेंटर फॉर स्ट्रेटजी एंड लीडरशिप (सीएसएल) द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आंध्र प्रदेश-एक वैश्विक पर्यटन स्थल का निर्माण विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। आंध्र प्रदेश सरकार चंद्रबाबू नायडू के ड्रीम प्रोजेक्ट और अपनी नई राजधानी अमरावती में एक विश्वस्तरीय पर्यटन शहर का निर्माण कर रही है।
 
पर्यटन शहर को विश्राम स्थल, व्यवसाय, ईको प्रणाली व स्वास्थ्य के साथ-साथ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृष्णा नदी के किनारे ऐतिहासिक उनदावल्ली गुफाओं के साथ निकटता की योजना है।
 
श्री प्रवीण प्रकाश, रेजिडेंट कमिश्नर(आईएएस) ने इस शहर की विशेषताओं का बखान करते हुए बताया कि अमरावती को दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित नदी पर्यटन स्थल बनाने के लिए राज्य सरकार के फोकस को रेखांकित किया जो जीवंत और आधुनिक सेटिंग के बीच कायाकल्प, विरासत, आध्यात्मिकता और प्रकृति के सम्मोहक मिश्रण की पेशकश करता है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में पर्यटन शहर एक विश्व स्तरीय गंतव्य और भारत के जीवंत पर्यटन उद्योग का चेहरा बनने के लिए तैयार है।
 
एपीसीआरडीए के अडीशनल कमिशनर श्री एस शानमोहन (आईएएस) ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि यह सब मुख्यमंत्री एन.चंद्रबाबू नायडू की दूरदर्शिता का ही परिणाम है जिसको साकार करते हुए विश्व स्तर की सुविधाओं के साथ एक ऐसा पर्यटन शहर बनाया जा रहा है जो मूल रूप से आंध्र प्रदेश की संस्कृति, विरासत और गुणतत्व को बरकरार रखे।
 
श्री शानमोहन ने बताया कि अमरावती में बनने वाला यह पर्यटन शहर नदी के किनारे के विकास, स्वास्थ्य और कल्याण प्रकृति पर आधारित अनुभवों तथा विरासत और संस्कृति के स्तंभों पर बनाया जाएगा। 2.7 लाख की अनुमानित आबादी वाले और 11573 एकड़ में फैले इस पर्यटन शहर में 2.2 लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न होने की उम्मीद है।
 
सुश्री भावना सक्सेना स्पेशल कमिशनर (आईपीएस), आर्थिक विकास बोर्ड ने न केवल निवेशकों को अमरावती आने का न्यौता दिया बल्कि राज्य सरकार की तरफ से सुरक्षा व सहयोग का भरोसा जताते हुए उन्हें पूर्ण समर्थन देने का वादा किया। उन्होंने होटल, रिसोर्ट व एमआईसीई यानि मीटिंग्स इन्सेंटिव्स कॉन्फ्रेन्सिस एंड एग्जीबिशन्स केंद्रों तथा थीम पार्कों, धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों और संग्रहालय के लिए व्यापक रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के सुनहरे अवसरों को साझा किया।
 
कार्यशाला को संबोधित करते हुए केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय के संयुक्त सचिव
श्री सुमन बिल्ला (आईएएसए) ने आंध्र प्रदेश सरकार की पर्यटन क्षेत्र में क्षमता की जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि विकास कार्य और आगंतुकों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना आंध्र प्रदेश सरकार की पहली प्राथमिकता है।
 
आंध्र प्रदेश के पर्यटन निदेशक हिमांशु शुक्ला (आईएएसए) ने दर्शकों को अभी तक अस्पष्ट पर्यटन स्थलों के आकर्षण अमरावती में और बाकी आंध्र प्रदेश में के बारे में अवगत कराया। उन्होने बताया कि राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के दृष्टिगत राज्य सरकार की योजना विशाखापत्तनम तिरुपति और विजयवाड़ा में मेगा कन्वेंशन सेंटर विकसित करने की है। राज्य सरकार ने विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा बनाने की दिशा में रेल और सडक़ नेटवर्क को आगे बढ़ाना, लंबे समुद्र तट गलियारे के साथ और अधिक राष्ट्रीय राजमार्गों को जोडऩा जैसे कई प्रगतिशील कदम उठाए हैं। ज्यादा से ज्यादा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार (विशाखापत्तनम, श्रीसांईलम, राजामुंदरी-कोनासीमा-काकीनाड़ा, विजयवाड़ा-अमरावती, तिरुपति और अनंतपुरामु-पुट्टपार्थी) छह पर्यटक केंद्र बनाने की दिशा में काम कर रही है।
 
कार्यशाला को संबोधित करते हुए फेडरेशन ऑफ एसोसिएशंस इन इंडियन टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी के अध्यक्ष तथा आइटीसी के कार्यकारी निदेशक नकुल आनंद ने पर्यटन उद्योग के लिए अमरावती में अवसरों पर प्रकाश डाला और सहयोगियों से अमरावती का दौरा करने का आग्रह किया।
 
सेंटर फॉर स्ट्रेटेजी एंड लीडरशिप के मुख्य कार्यकारी और निदेशक विकास शर्मा ने कार्यशाला में आए मेहमानों के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि निवेशकों के लिए इस नए नवेले और अनूठे पर्यटन क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। यह शहर पर्यटन में रुचि रखने वालों के लिए बेहद रोमांच से भरा और आनंद देने वाला अनुभव कराने वाला होगा। कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों और उद्योगों के लगभग 600 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।