पिछले 6 वर्षों में, ऐसे मामलों में लगभग 114 प्रतिशत की वृद्धि हुई है
AMN / नई दिल्ली,
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रीवेंशन एंड रिसर्च के अनुसार, पिछले छह वर्षों में भारत में कैंसर के मामले 15.7 प्रतिशत बढ़ गये हैं। अकेले इस साल, 2012 में 10 लाख के मुकाबले, देश भर में लगभग 11.5 लाख कैंसर के मामले रिपोर्ट हुए थे। होंठ और माउथ कैविटी के कैंसर की, विशेष रूप से छह साल की अवधि में, 114 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
माउथ कैंसर एक ऐसा कैंसर है जो मुंह के किसी भी हिस्से में हो सकता है, जिसमें होंठ, जीभ, गाल, साइनस, फेरिंक्स, कठोर और मुलायम तालु आदि शामिल हैं। तम्बाकू का उपयोग मुंह के कैंसर के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक है। इनमें सिगरेट, सिगार, पाइप, चबाने वाला तम्बाकू और सूंघने वाली तम्बाकू भी शामिल है। जो लोग बड़ी मात्रा में अल्कोहल का उपभोग करते हैं, उनमें भी गर्दन और सिर के कैंसर का अधिक खतरा होता है।
इस बारे में बोलते हुए, एचसीएफआई के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के के अग्रवाल ने कहा, ‘तम्बाकू का उपयोग करने से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस जैसे ओरल प्रीकैंसरस लेजियंस विकसित हो सकते हैं, जिससे उपयोगकर्ता के मुंह में कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा यह उपयोगकर्ता के मुंह में अन्य संक्रमणों का जोखिम भी पैदा कर सकता है। भारत में, धुआं-रहित तम्बाकू (एसएलटी) का उपयोग तम्बाकू-जनित बीमारियों का प्रमुख कारण है, जिसमें माउथ कैविटी, ईसोफेगस (फूड पाइप) और पेंक्रियास के कैंसर प्रमुख हैं। एसएलटी न केवल स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव का कारण बनता है, बल्कि एक बड़ा आर्थिक बोझ डालता है।’
माउथ कैविटी के लिए कुछ अन्य जोखिम कारकों में कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, मौखिक या अन्य प्रकार के कैंसर का पारिवारिक इतिहास, ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) संक्रमण, लंबे समय तक सूरज की धूप में रहना, बढ़ती उम्र, मुंह की सफाई में कमी, खराब भोजन या पोषण आदि शामिल हैं।
डॉ. अग्रवाल, जो आईजेसीपी के समूह संपादक भी हैं, ने आगे बताया, ‘छाली के साथ एसएलटी का उपयोग भारत में एक आम चलन है और जैसा कि शुरुआत में कहा गया है, पान और गुटका, एसएलटी के दो सामान्य रूप हैं, जिनमें छाली का प्रयोग होता है। छाली को एक कार्सिनोजेनिक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जिसमें कैंसरजन्य गुण होते हैं, यानी इसमें अन्य प्रतिकूल प्रभावों के अलावा, कैंसर पैदा करने वाले गुण मौजूद होते हैं।’
एचसीएफआई के कुछ सुझाव
– तम्बाकू का प्रयोग न करें। यदि आप करते हैं तो इस आदत को छोड़ने के लिए तत्काल कदम उठाएं।
– अल्कोहल का उपभोग संयम में रहकर करें।
– लंबे समय तक सूर्य के संपर्क में रहने से बचें – धूप में जाने से पहले 30 या उससे अधिक एसपीएफ वाले लिप बाम का उपयोग करें।
– जंक और प्रोसेस्ड फूड के सेवन से बचें। ताजा फल और सब्जियों सहित हैल्दी फूड करने की पहल करें।
– लोजेंजेस, निकोटीन गम्स जैसे चीजें लेकर निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी अपनाएं।
– पता करें कि धूम्रपान की इच्छा कब और कहां अधिक होती है। ऐसी स्थितियों से बचने का प्रयास करें।
– शुगरलेस गम या हार्ड कैंडी या कच्चे गाजर, अजवाइन, नट्स या फिर सूरजमुखी के बीज चबा लें।
– शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। सीढ़ियों से ऊपर-नीचे आने-जाने से भी तम्बाकू की तलब दूर की जा सकती है।