ज्ञान पाठक
उतर प्रदेश की सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदल कर हिन्दू धर्म पर कोई उपकार नहीं किया बल्कि उसने धर्म के प्रति अपनी अज्ञानता का परिचय दिया है। शब्द इलाहाबाद का न तो इस्लाम से न ही मुसलमानों से कोई लेना देना है। भले ही अंग्रज़ों ने 1858 में अवध प्राविंस बनने के बाद इलाहाबाद का नाम अंग्रेजी में Allahabad लिख दिया हो इस का उच्चारण अंग्रेजी पढ़ने वाले भी इलाहाबाद ही करते है. दरअसल इलाहाबाद का पहले नाम था इलाहाबास था जो बाद में चल कर इलाहाबाद हो गया.
इला ऋग्वेद में ‘अन्न’ की अधिष्ठातृ’ देवी मानी गई हैं, यद्यपि सायण मुनि के अनुसार उन्हें पृथिवी की अधिष्ठातृ मानना अधिक उपयुक्त है। वैदिक वाङमय में इला को मनु को मार्ग दिखलानेवाली एवं पृथिवी पर यज्ञ का विधिवत् नियमन करनेवाली कहा गया है।
सोलहवीं शताब्दी के अन्त तक यह पवित्र शहर हिन्दुओं, जैनों और बौद्धों में लोकप्रिय था। अकबर ने इस पवित्र शहर को इलाहाबास कहा जिसका अर्थ है ईश्वर का वास स्थल। ज्ञात हो कि प्रयाग पहले से ही इलाहबाद का एक हिस्सा है.