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वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का बुधवार की रात को नई दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 95 वर्ष के थे. कुलदीप नैयर काफी दशकों से पत्रकारिता, समाज सेवा में सक्रिय थे. नैयर का जन्म 14 अगस्त, 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था.
कुलदीप नैयर ने अपने करियर की शुरुआत उर्दू अख़बार ‘अंजाम ‘ से बतौर रिपोर्टर की थी. वह दिल्ली के समाचार पत्र द स्टेट्समैन और समाचार एजेंसी UNI के संपादक भी रह चुके थे . पत्रकारिता के अलावा वह बतौर एक्टिविस्ट भी कार्यरत थे. इमरजेंसी के दौरान कुलदीप नैयर को भी गिरफ्तार किया गया था.
नैयर 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे. 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था, अगस्त 1997 में राज्यसभा में नामांकित किया गया था.
इतना ही नहीं कुलदीप नैयर डेक्कन हेराल्ड (बेंगलुरु), द डेली स्टार, द संडे गार्जियन, द न्यूज, द स्टेट्समैन, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून पाकिस्तान, डॉन पाकिस्तान, प्रभासाक्षी सहित 80 से अधिक समाचार पत्रों के लिए 14 भाषाओं में कॉलम और ऑप-एड लिखते हैं.
कुलदीप नैयर ने ‘बिटवीन द लाइन्स’, ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कॉनण्टीनेण्ट’, ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू’, ‘वाल एट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप’, ‘इण्डिया हाउस’, ‘स्कूप’ ‘द डे लुक्स ओल्ड’ जैसी कई किताबें लिखी थीं. सन् 1985 से उनके द्वारा लिखे गये सिण्डिकेट कॉलम विश्व के अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दिग्गज पत्रकार कुलदीप नैयर के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि उन्होंने अपाताकाल के खिलाफ दृढ़ता से अपनी आवाज उठाई थी। मोदी ने कहा कि समाज सेवा, बेहतर भारत की उनकी प्रतिबद्धता को भारत हमेशा याद रखेगा।नैयर ने रात 12.30 बजे एस्कॉर्ट्स अस्पताल में आखिरी सांस ली। मोदी ने ट्वीट कर कहा, कुलदीप नैयर हमारे समय के एक बौद्धिक शख्स थे। विचारों से बेबाक और निडर। उन्होंने कई दशकों तक काम किया।
उन्होंने कहा, आपातकाल के खिलाफ, समाज सेवा और बेहतर समाज बनाने की प्रतिबद्धता को देश हमेशा याद करेगा। उनके निधन से दुखी हूं। मेरी संवेदनाएं। नैयर ने अपने करियर की शुरुआत उर्दू के एक समाचार पत्र से की थी। उन्होंने ‘बियॉन्ड द लाइन्स’ और ‘इंडिया आफ्टर नेहरू’ सहित कई किताबें भी लिखी हैं।