आई एन वी सी न्यूज़
बैठक में दारा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने कहा कि एक सोची समझी साजिश के तहत सर्वोच्च न्यायालय में नक्सली ईसाई आतंकवादियों के पैरोकार जजों की भरती की जा रही है। इसके पीछे सी आई ए और उसकी पाली नक्सली आतंकवादी ईसाई मिश्निरियों का मकसद 2050 तक भारत को काटकर एक अलग ईसाई देश बनाना है। इस देशद्रोही साजिश को अंजाम देने में सर्वोच्च न्यायालय के ईसाई जजों की भी खास भूमिका है। कितना भी खूंखार नक्सली ईसाई आतंकवादी हो, उसको पता है कि सर्वोच्च न्यायालय में उसके अपने ही लोग न्यायाधीश की कुर्सी पर विराजमान है। जो उनके द्वारा एक-एक दिन में 76-76 सैनिकों का कत्लेआम करने पर भी जमानत दे देंगे। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण सर्वोच्च न्यायालय के जजों द्वारा खूंखार नक्सली ईसाई आतंकवादी बिनायक सेन और जी एन साईं्र बाबा को जमानत देना हैं और नक्सली ईसाई आतंकवादियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ की कारगर युद्ध प्रणाली सलवा जुड़ूम को प्रतिबन्धित करना है। इतना ही नहीं सर्वोच्च न्यायालय के जजों ने आज तक किसी भी नक्सली ईसाई आतंकवादी को सजा नहीं दी। ईसाई जजों का यह गैंग हिन्दुओं के धार्मिक मामलों में भी लगातार हस्तक्षेप करके मूलाध्रिकार 25 और 26.ख का भी हनन् कर रहा हैं।
बैठक में दारा सेना के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी ओम जी ने बताया कि जो असंवैधानिक कोलेजियम न्यायधीशों की नियुक्ति में सर्वेसर्वा बना हुआ है उसका संविधान में कहीं पर भी उल्लेख नहीं है। संविधान में केवल और केवल राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की सिफारिश पर ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करने को कहा गया है। ऐसे में संवैधानिक पदों पर बैठे जो लोग भी असंवैधानिक कालेजियम का साथ दे रहे हैं वे सब ही संविधान के प्रति ली गयी सत्य और निष्ठा की शपथ को तोड़ रहे हैं और इस शपथ को तोड़ने के बाद उनका इस पद पर बने रहने का कोई भी औचित्य नहीं है। हिन्दू संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति जी से अनुरोध किया कि वें असंवैधानिक कोलेजियम का साथ दे रहे मुख्य न्यायाधीश श्री दीपक मिश्रा और उनका साथ दे रहे जस्टिस रंजन गोगई, जे चेलामेश्वर, ईसाई जज मदन बी लोकूर और ईसाई जज जोसफ कुरियन को राष्ट्रपति भवन में तलब करें और संविधान का पालन न करने पर इनसे जबरदस्ती त्यागपत्र लिया जाये।