नई दिल्ली: मासिक धर्म के दिनों में कमजोर वर्ग की महिलाओं के बीच सैनेटरी नैपकिन की अनुपलब्धता कई कारणों से सरकार और विभिन्न सामाजिक संगठनों के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है. इसी चुनौती से निपटने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जेंडर जस्टिस ने एचएलएल लाइफकेयर के साथ भागीदारी करते हुए लाइफकेयर केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है. इस भागीदारी के तहत देश के सबसे पिछड़े 100 जिलों में घर-घर जाकर किफायती सैनेटरी नैपकिन वितरित किए जाएंगे.
महिला समाजसेवी श्रीरूपा मित्रा चैधरी के संरक्षण और निर्देशन में इस मुहिम का मकसद देश के हर कोने में जाकर ग्रामीण महिलाओं को सहयोग करना है. यह कार्यक्रम मानसिक सुरक्षा और खासकर मासिक धर्म के दिनों में स्वास्थ्य सुरक्षा से वंचित महिलाओं, मासिक धर्म के दौरान स्कूल जाने से कतराने वाली लड़कियों के लिए समर्पित है.
यह कार्यक्रम उन महिलाओं की भी मदद करेगा जो नैपकिन की अनुपलब्धता के कारण पूरी तरह असुरक्षित महसूस करती हैं और दुकानों से सैनेटरी नैपकिन खरीदने में अत्यधिक संकोच करती हैं. लाइफकेयर केंद्रों पर ऐसी ही महिलाओं को किसी भी परिस्थिति में निर्भय बनाते हुए मानसिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी. प्रत्येक जिले में 10 लाइफकेयर सेंटरों के जरिए उन महिलाओं को घर-घर जाकर 'हैप्पी डेज' नैपकिन भी वितरित किए जाएंगे.
आपको बता दें अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जेंडर जस्टिस ने निर्भोय ग्राम के सहयोग से समाज के कमजोर तबके की महिलाओं को सेहत के मोर्चे पर सशक्त बनाने के लिए उनके बीच सैनेटरी नैपकिन का निर्णय लिया गया. 'बिइंग फीयरलेस' यानी निर्भय रहने की मुहिम के तहत महिलाओं को मासिक धर्म के दिनों में स्वास्थ्य और साफ-सफाई के प्रति जागरूक बनाने की पहल की गई.
यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' का ही हिस्सा है जिसमें मशहूर लेखिका तसलीमा नसरीन, राजनीतिज्ञ श्याम जाजू, पेंटर मोहसिन शेख, क्रिएटिव निर्देशक पिनाकी दासगुप्ता, कलाकार दीपक कुमार घोष जैसी कई हस्तियों ने शिरकत की.
श्रीरूपा मित्रा चौधरी बताती हैं, "हमारा लक्ष्य 300 गांवों और 50 लाख महिलाओं को सशक्त बनाने का है. हम लोगों को इस तरह की संवेदनशील चुनौतियों से निपटने के लिए जनांदोलन चलाते हुए सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे."