नई दिल्ली: भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच शनिवार को खेले जाने वाला तीसरा और सीरीज का आखिरी टी-20 मुकाबला बहुत ही रोमांचक हो गया है. दोनों ही टीमें इस मुकाबले को अपनी झोली में डाल सीरीज जीतने के लिए बहुत ही ज्यादा बेकरार है. इसमें दो राय नहीं कि दूसरा टी-20 मैच जीतने के बाद मेजबान टीम के कॉन्फिडेंस में बहुत ही इजाफा हुआ है. लेकिन यह आखिरी मुकाबला सीरीज डिसाइडर होने की वजह से एक अलग ही तरह का मैच होगा. वहीं टीम इंडिया ने मैच से पहले ही मेजबानों के सामने एक बड़ी चुनौती रख दी है.
वास्तव में जिस अंदाज में पिछले मैच में दक्षिण अफ्रीकी विकेटकीपर हेनिरच क्लासेन और जेपी डुमिनी ने अपनी टीम को छह विकेट से जीत दिलाई, उसने एक तरह से चोटिल खिलाड़ियों की मारी दक्षिण अफ्रीकी टीम के लिए सीरीज डिसाइडर मुकाबले से पहले टॉनिक का काम किया है. निश्चित ही, इससे उन्हें भरोसा मिला होगा कि वह टी-20 सीरीज जीतकर सम्मान बचा सकते हैं. हालांकि, इस मैदान का रिकॉर्ड कुछ और ही कह रहा है.
वैसे यह बात पूरी तरह सही है कि पुराने रिकॉर्डों का वर्तमान से कुछ लेना देना नहीं होता. लेकिन यह भी एक बड़ा सच है कि दक्षिण अफ्रीका के पास उसके सितारा मैच जिताऊ बल्लेबाज नहीं ही हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या मेजबान न्यूलैंड्स मैदान पर अपने खराब रिकॉर्ड में आखिरी टी-20 में सुधार कर पाएंगे. सवाल यह भी है कि क्या मेजबान टीम भारत के चैलेंज को भेद पाएगी.
VIDEO : सेंचुरियन में शतक बनाने के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली. न्यूलैंडस पर दक्षिण अफ्रीका ने पांच मैच- ऑस्ट्रेलिया (2011), पाकिस्तान (2013), विंडीज (2015), ऑस्ट्रेलिया (2016) और श्रीलंका (2017)- गंवाए हैं, तो उसे इंग्लैंड (2007 विश्व कप), बांग्लादेश (2007 विश्व कप) और इंग्लैंड (2016) के खिलाफ जीत मिली है. इसे देखते हुए मेजबान टीम के सामने न केवल अपने रिकॉर्ड में सुधार करना एक बड़ा चैलेंज है, बल्कि इस मैदान पर भारत के खिलाफ पहली जीत दर्ज करना भी उसके लिए चुनौती बन गया है.