मुंबई: दक्षिण मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसएमटी) भवन को संग्रहालय में बदलने की रेल मंत्रालय की योजना पर विवाद हो खड़ा हो गया है. वास्तुकारों और रेल कर्मियों ने मंत्रालय के इस कदम पर आपत्ति जताई है. वास्तुकारों का कहना है कि इस प्रतिष्ठित परिसर को संग्रहालय में बदलना ‘मुश्किल’ और ‘अव्यावहारिक’ है जबकि रेलवे यूनियनों का कहना है कि इसको स्थानातंरित करने से वहां काम कर रहे कर्मचारियों को असुविधा होगी.
यह भवन मध्य रेलवे का प्रशासनिक मुख्यालय है. रेलवे अधिकारियों ने संग्रहालय का विकास करने के लिए कल आशय पत्र (ईओआई) आमंत्रित किया था और योजना को अमली-जामा पहनाने के लिए एक सलाहकार बोर्ड भी गठित किया है. रेलवे बोर्ड के अवर सचिव (प्रतिष्ठान) के निर्देश के मुताबिक, सलाहकार बार्ड के अध्यक्ष मध्य रेलवे के महाप्रबंधक होंगे और इसमें पांच सदस्य होंगे. संरक्षण वास्तुकार विकास दिलवारी ने कहा कि एक संग्रहालय को कथानक जैसी कई चीजों की जरूरत होती है.
संग्रह के प्रदर्शन के लिए एक क्यूरेटोरियल टीम की भी जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि यह मुश्किल से दक्षिण मुंबई में ही स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय जितना बड़ा है. इसलिए इसे संग्राहलय में बदलना आसान नहीं है. सीएसएमटी को किसी और मकसद के लिए डिजाइन किया गया था. वर्ष 2005 में इसे विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया था.
इसे ब्रिटेन के वास्तुकार फ्रेंड्रिक विल्लियम स्टीवन्स ने डिजाइन किया था. मध्य रेलवे के कर्मचारियों की मान्यताप्राप्त यूनियन मध्य रेलवे मजदूर संघ ने हाल में इस कदम के खिलाफ मुख्यालय पर प्रदर्शन किया था और जब तक मंत्रालय योजना वापस नहीं ले लेता तब तक अपना विरोध जारी रखने का संकल्प लिया.
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