'भूतों' की वजह से तेजप्रताप यादव ने खाली किया सरकारी बंगला
बंगले खाली करने के सरकारी आदेश के खिलाफ पिछले वर्ष अक्टूबर में आरजेडी के कुछ पूर्व मंत्री पटना हाईकोर्ट पहुंचे थे, जहां आदेश पर स्टे (स्थगनादेश) लगा दिया गया.
जेडीयू ने कहा, तेजप्रताप यादव एक्यूट अटेंशन डेफिशिएंसी का शिकार
तेजप्रताप यादव ने राजधानी पटना में आवंटित सरकारी बंगला खाली किया
कहा, सीएम और डीसीएम भूतों को खुला छोड़ दिया है...
पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तथा राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव ने राजधानी पटना में आवंटित सरकारी बंगला यह आरोप लगाते हुए खाली कर दिया है कि 'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भूतों को खुला छोड़ दिया है...'
3, देशरत्न मार्ग स्थित यह बंगला उन्हें राज्य की पिछली सरकार में मंत्री रहने के दौरान आवंटित किया गया था, लेकिन पिछले साल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) व कांग्रेस के महागठबंधन की सरकार के गिर जाने तथा बाद में नीतीश कुमार ने जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर सरकार का गठन कर लिया, कई राजनेताओं से सरकारी बंगले खाली करने के लिए कहा गया था, जिनमें तेजप्रताप यादव भी शामिल थे.
बंगले खाली करने के सरकारी आदेश के खिलाफ पिछले वर्ष अक्टूबर में आरजेडी के कुछ पूर्व मंत्री पटना हाईकोर्ट पहुंचे थे, जहां आदेश पर स्टे (स्थगनादेश) लगा दिया गया, और इसके बाद सरकार ने बंगलों में रह रहे नेताओं को मार्केट रेट (बाज़ार दर) से बंगलों का किराया अदा करने के लिए कहा. हालांकि जिन लोगों ने बंगले खाली नहीं किए, उन्होंने अब तक इस आदेश का पालन नहीं किया है.
मुख्यमंत्री की पार्टी ने तेजप्रताप यादव के 'भूतों वाले' बयान को पब्लिसिटी हासिल करने की तरकीब करार दिया है. जेडीयू ने कहा, "तेजप्रताप यादव एक्यूट अटेंशन डेफिशिएंसी का शिकार है, और वह अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव से मुकाबला करने की कोशिश कर रहे हैं, जो मीडिया की सुर्खियों में छाए रहते हैं..."
Video- सुशील मोदी के घर में घुसकर उन्हें मारूंगा : तेजप्रताप
हालांकि तेजप्रताप यादव को जो बंगला आवंटित किया गया था, उन्होंने उसका ज़्यादातर इस्तेमाल अपने समर्थकों से मुलाकात के लिए किया, और रात के वक्त वह उस बंगले में जाकर रहते हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री तथा उनकी मां राबड़ी देवी को आवंटित किया गया है. वैसे, तेजप्रताप यादव ने सरकार की ओर से आवंटित किए गए बंगले में कुछ बदलाव भी करवाए थे, ताकि वह 'वास्तु' के हिसाब से सही हो सके. इस प्रक्रिया में उन्होंने बंगले का मुख्य द्वार बंद करवा दिया था, और पिछले दरवाज़े का इस्तेमाल करते थे.