इंफाल
मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। नगा पीपुल्स फ्रंट ने रविवार को घोषणा की थी कि नागालैंड विधानसभा चुनाव के बाद वह सरकार से समर्थन वापस ले सकती है। आपको बता दें कि नागालैंड में 27 फरवरी को विधानसभा चुनाव है। एनपीएफ के राज्य अध्यक्ष मारुंग माकुंगा ने कहा, हमने जल्द ही गठबंधन से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है।
नागालैंड विधानसभा चुनाव के बाद फैसले की घोषणा हो सकती है। 60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीएफ के चार जबकि भाजपा के 21 विधायक हैं। बहुमत के लिए भाजपा अन्य सहयोगियों पर निर्भर है। एन.बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में एनपीएफ का एक विधायक कैबिनेट मंत्री है। इंफाल में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान माकुंगा ने पूछा, एक जनसभा के दौरान मु यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने बताया था कि चंदेल जिले की स्वायत्त जिला परिषद के एनपीएफ के सदस्य भाजपा में शामिल होंगे।
क्या यह सिर्फ मजाक है या हमारी पार्टी का मजाक बना रहे हैं या हमारी पार्टी के प्रति अस मान प्रकट कर रहे हैं? राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक रास्ते अलग कर लेना गठबंधन सरकार के लिए आखिरी तिनका हो सकता है। इस तरह के संकेत है कि हाईकोर्ट 13 मार्च को फर्म फैसला ले सकता है जब 12 संसदीय सचिवों की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष टी.एन.हाओकिप ने कहा कि आठ कांग्रेस विधायक जो भाजपा में शामिल हुए थे, अयोग्य ठहराए जाने के डर से वापस पार्टी में लौट सकते हैं।
पार्टी ने राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला और विधानसभा अध्यक्ष वाई.खेमचंद को इस संबंध में याचिकाएं सौंपी है। अन्य एनपीएफ नेताओं का कहना है कि मु यमंत्री ने गो टू द हिल्स स्लोगन के पार्ट के तहत पहाड़ी जिलों के लिए करोड़ों रुपए के आवंटन की घोषणा की थी लेकिन इस तरह की घोषणाओं के बाद कुछ नहीं हुआ।
एनपीएफ की सरकार से समर्थन वापसी का फैसला उस वक्त सामने आया है जब भाजपा ने नागालैंड में चुनाव से पहले एनपीएफ से गठबंधन तोड़ दिया और हाल ही में बनी एनडीपीपी से हाथ मिला लिया। एनडीपीपी 40 जबकि भाजपा 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। नागालैंड में भाजपा और एनपीएफ का गठबंधन 15 साल पुराना था। आपको बता दें कि मणिपुर के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। उसने 28 सीटें जीती थी। भाजपा को 21 सीटें मिली थी। इसके बावजूद भाजपा ने अपनी सरकार बना ली। चुनाव के बाद कांग्रेस के 8 विधायक भाजपा में शामिल हो गए।