रामचंद्र घाट पर रहा है माकपा का दबदबा, किसी का नहीं खुला खाता

Daily news network Posted: 2018-02-18 18:43:35 IST Updated: 2018-02-18 18:51:26 IST
रामचंद्र घाट पर रहा है माकपा का दबदबा, किसी का नहीं खुला खाता
संक्षिप्त विवरण

अगरतला।

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में इस बार सभी की नजरें रामचंद्रघाट पर हैं। इस सीट पर अभी तक हुए नौ बार हुए विधानसभा चुनाव में माकपा का दबदबा रहा है। इस सीट पर  माकपा के सिवा किसी का खाता तक नहीं खुला है। इस बार के विधानसभा चुनाव में माकपा ने इस सीट पर चार बार जीत दर्ज कर चुके पदमा कुमार देबबर्मा को टिकट दिया है। ताे वहीं कांग्रेस ने तारानी देबबर्मन को टिकट दिया, भाजपा की सहयोगी पार्टी आर्इपीएफटी ने प्रशांत देबबर्मन को चुनावी मैदान में उतारा है आैर अनीमेश देबबर्मन इस बार फिर से निर्दलीय ही चुनाव लड़ रहे हैं। इन सबमें सबसे मजबूत दावेदार पदमा कुमार देबबर्मन को ही माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने 2008 आैर 2003 में निर्दलीय चुनाव लड़ रहे अनीमेश देबबर्मन का हरा कर जीत दर्ज की है। हालांकि अनीमेश ने पदमा का चुनाव में कड़ी टक्कर दी थी।



आपकों बता दें कि 1977 में हुए विधानसभा चुनाव में रामचंद्रघाट से माकपा ने दसरथ देब काे टिकट दिया तो वहीं जनता पार्टी ने नंद कुमार देबबर्मन काे चुनावी मैदान में उतारा। इस चुनाव में दसरथ को 9585 तो वहीं जनता पार्टी के उम्मीदवार को महज 1166 वोट मिले। 1983 में माकपा ने दोबारा दसरथ को उम्मीदवार के तौर पर टिकट दिया आैर इस बार दसरथ का मुकाबला टीयूएस के बथसैल्यामनि जमतिया से था। इस चुनाव में माकपा उम्मीदवार दसरथ ने जमातिया को 9723 मतों से हरा कर माकपा के खाते में जीत दर्ज की।



इसके बाद हुए 1988 में हुए विधानसभा चुनाव में माकपा ने फिर से दसरथ देब को टिकट दिया अौर इस बार टीयूएस ने सशी कुमार देबबर्मन पर अपना दांव अाजमाया लेकिन इस बार भी टीयूएस काे कोर्इ फायदा नहीं मिला। दसरथ ने टीयूएस उम्मीदवार सशी कुमार को 8312 मतों से हराया।अगर हम बात करें 1993 में माकपा ने इस बार भी अपने उम्मीदवार दसरथ काे चुनावी मैदान में टीजेएस के उम्मीदवार दिनेश देबबर्मा के खिलाफ उतारा आैर इस बार के चुनाव में टीजेएस को हार का सामना करना पड़ा।इस चुनाव में माकपा उम्मीदवार दसरथ ने दिनेश को 10416 मतों से हरा कर माकपा सर जीत का सेहरा बांधा।



इसके बाद हुए 1998 के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में माकपा ने इस सीट पर पदमा देबबर्मन पर अपना दांव आजमाया। हालांकि निर्दलीय चुनाव लड़ रहे सुबोध  देबबर्मा ने पदमा का कड़ी टक्कर दी। लेकिन इस बार माकपा का ये नया सिक्का चल गया आैर उसके बाद अभी तक पदमा के जीत का सिलसिला जारी है। 1998 में पहली बार माकपा की टिकट से चुनाव लड़ रहे पदमा ने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे सुबोध को 6588 वोटों से हराया था।



इसके बाद 2003 में पदमा देबबर्मन ने आर्इएनपीटी उम्मीदवार अनंता देबबर्मन को 3434 मता से हरा कर जीत दर्ज की। 2008 में पदमा काे फिर से माकपा ने टिकट दिया आैर इस बार पदमा का मुकाबला निर्दलीय चुनाव लड़ रहे अनिमेश देबबर्मन से था। इस बार के चुनाव में पदमा ने अनिमेश को 6503 वाेटों से हराया। एेसे ही 2013 में भी पदमा माकपा की ही टिकट से चुना लड़ रहे थे। इस बार भी पदमा ने अनिमेश को 7891 मतों से हराया आैर चौथी बार जीत दर्ज की आैर एेसे पदमा की जीत का सिलसिला जारी रहा। अब इस बार के चुनावों में देखना ये है कि पदमा अपनी जीत का सिलसिला जारी रख पाते है या नहीं।