मेघालय : स्वतंत्र उम्मीदवार बिगाड़ सकते है चुनावी हवा , सकते में बीजेपी और कांग्रेस..!

Daily news network Posted: 2018-02-17 16:27:26 IST Updated: 2018-02-17 16:27:26 IST
मेघालय : स्वतंत्र उम्मीदवार बिगाड़ सकते है चुनावी हवा , सकते में बीजेपी और कांग्रेस..!
  • मेघालय में 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए 27 फरवरी को चुनाव होंगे और उसका नतीजा तीन मार्च को आएगा. बीजेपी 47 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसने किसी भी दल के साथ चुनाव से पहले गठबंधन नहीं किया है.

मेघालय

मेघालय में 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए 27 फरवरी को चुनाव होंगे और उसका नतीजा तीन मार्च को आएगा. बीजेपी 47 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसने किसी भी दल के साथ चुनाव से पहले गठबंधन नहीं किया है. इसके अलावा बाकी की पार्टियां भी चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश में लगी हैं.

मेघालय की मौजूदा मुकुल संगमा नीत कांग्रेस सरकार में स्वतंत्र विधायकों की खूब चलती है. पार्टी अंदरुनी कलह की शिकार है सो उनके दांव-पेंच से अक्सर आशंका आन खड़ी होती है कि सरकार कहीं पटरी से ना उतर जाए.

इस साल 84 व्यक्तियों ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन का पर्चा भरा है. इनमें से मात्र तीन मौजूदा विधानसभा में विधायक हैं. सदन के शेष 10 विधायकों ने कांग्रेस, बीजेपी, नेशनल पीपुल्स पार्टी या फिर एनसीपी का दामन थाम लिया है.

साल 2013 में विधायकों की तादाद के मामले में कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा संख्या स्वतंत्र उम्मीदवारों की थी जिससे स्वतंत्र उम्मीदवारों के बढ़ते प्रभाव का पता चलता है. सत्ता के समीकरण में यह बदलाव धीरे-धीरे आया है लेकिन अपने आप में यह बदलाव बहुत अहम है. प्रमुख राजनीतिक दल ऐसे उम्मीदवारों को अपनी तरफ मिलाने के लिए मजबूर हुए हैं.

इस चुनाव में जीत के लिहाज से आगे माने जाने वाले प्रमुख स्वतंत्र उम्मीदवारों में बीजेपी के पूर्व उपाध्यक्ष एडमंड संगमा और सैयदुल्लाह नोंग्रूम का नाम शामिल है. नोंग्रूम मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के राजनीतिक सचिव रह चुके हैं.

माना जा रहा है कि एडमंड संगमा और सैयदुल्लाह नोंग्रूम अपने-अपने चुनाव क्षेत्र से विजयी रहेंगे. सूबे की सियासत में एक और उम्मीदवार, मावहाती के विधायक जूलियस डोरफेंग की जीत हलचल मचा सकती है. 




पिछले साल सूबे की राजनीति में कुख्यात मारवलिन इन्न केस से उबाल आया था. इसमें एक 14 साल की किशोरी पर यौन-हमला करने के आरोप में जूलियस डोरफेंग की गिरफ्तारी हुई थी.

अगर 2013 को आधार वर्ष मानकर बीते तीन दशक में हुए मतदान के रुझान को देखें तो नजर आता है कि चुनावी मुकाबले की बाकी पार्टियों के हाथों स्वतंत्र उम्मीदवारों ने अपने जनाधार की जमीन धीरे-धीरे गंवाई है. 




साल 1983 में स्वतंत्र उम्मीदवारों का वोट शेयर 22.5 प्रतिशत था जो साल 2003 में घटकर 12 प्रतिशत यानी सबसे निचले स्तर पर जा पहुंचा. लेकिन 2013 में स्वतंत्र उम्मीदवारों के वोटशेयर में फिर उछाल आई और आंकड़ा 27.7 फीसद की ऊंचाई पर चला आया.

दरअसल राष्ट्रीय पार्टियों के बीच वोट के बंटने के कारण स्वतंत्र उम्मीदवार ज्यादा प्रभावशाली नजर आ रहे हैं. कांग्रेस सत्ता में है सो उसे एंटी-इन्कम्बेंसी से जूझना है. एनपीपी, बीजेपी तथा यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए जीन-जान से जुटी हुई हैं. ऐसे में राजनीति के पर्यवेक्षकों को मानना है कि स्वतंत्र उम्मीदवार तथा छोटी क्षेत्रीय पार्टियां मेघालय का राजनीतिक भविष्य तय करने में अहम भूमिका निभाएंगी.