चांदीपुर में लेफ्ट का डंका,9 में से 8 बार जीती सीपीएम, भाजपा का तो खाता भी नहीं खुला

Daily news network Posted: 2018-02-16 17:33:06 IST Updated: 2018-02-16 17:36:40 IST
चांदीपुर में लेफ्ट का डंका,9 में से 8 बार जीती सीपीएम, भाजपा का तो खाता भी नहीं खुला
संक्षिप्त विवरण

अगरतला।

आज हम बात कर रहे हैं त्रिपुरा की चांदीपुर विधानसभा सीट की। यह उनिकोट जिले में पड़ती है। यहां लेफ्ट का सिक्का चलता है। 1977 से सीपीएम लगातार यहां से चुनाव जीतती आ रही है। कांग्रेस यहां से सिर्फ एक बार जीती है जबकि भाजपा का तो खाता भी नहीं खुला है। चांदीपुर से सीपीएम ने तपन चक्रवर्ती को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने एक बार फिर निर्मलेंदु देब पर दांव लगाया है जबकि भाजपा ने कावेरी सिंघा को मैदान में उतारा है। तृणमूल कांग्रेस ने विद्युत विकास सिंघा को टिकट दिया है। दशरथ सरकार बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।


यहां से तपन चक्रवर्ती 2003 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। तपन चक्रवर्ती सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले नेता हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में तपन चक्रवर्ती ने कांग्रेस के निर्मलेंदु देब को 7,629 वोटों से हरा दिया। चक्रवर्ती को कुल 21,009 वोट मिले जबकि निर्मलेंदु को 13, 380 वोट मिले। सबसे कम वोटों से चुनाव जीतने वाले नेता रहे हैं कांग्रेस के मनिन्द्र लाल भौमिक। 1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से पहली और आखिरी बार जीत दर्ज की थी। उस वक्त कांग्रेस के मनिन्द्र लाल भौमिक ने सीपीएम के बैद्य नाथ मजूमदार को सिर्फ 280 वोटों से हराया था। भौमिक को कुल 3,418 जबकि मजूमदार को 3, 138 वोट मिले थे। बैद्यनाथ मजूमदार ने 6 बार चुनाव लड़ा। पांच बार जीते और एक बार हारे।



आपको बता दें कि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बीराजीत सिन्हा यहां से एक बार चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। 1983 में सीपीएम के बैद्यनाथ मजूमदार ने सिन्हा को 1,668 वोटों से हराया था। मजूमदार को कुल 9, 066 जबकि सिन्हा को 7,398 वोट मिले थे। 1972 में चुनाव जीतने वाले मनिन्द्र लाल भौमिक को कांग्रेस ने 1977 के विधानसभा चुनाव में फिर टिकट दिया लेकिन वह चुनाव हार गए। सीपीएम के बैद्यनाथ मजूमदार ने उन्हें 5,937 वोटों से हराया। मजूमदार को कुल 9, 197 जबकि भौमिक को 3,260 वोट मिले।


1988 चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदल लिया। इस बार पार्टी ने देबाशीष सेन(बाबू) पर दांव लगाया लेकिन वह भी चुनाव हार गए। मजूमदार ने सेन को 1,612 वोटों से हराया। मजूमदार को कुल 10, 128 जबकि सेन को 8,516 वोट मिले। 1993 में कांग्रेस ने फिर उम्मीदवार बदल लिया। इस बार निरोडे बरन दास को चुनाव मैदान में उतारा लेकिन मजूमदार ने उन्हें 4,994 वोटों से हरा दिया। मजूमदार को कुल 12, 656 जबकि दास को 7,662 वोट मिले।


1998 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर देबाशीष सेन को चुनाव मैदान में उतारा। मजूमदार ने सेन को 3, 923 वोट से हराया। मजूमदार को कुल 12, 553 जबकि सेन को 8, 630 वोट मिले। 2003 के विधानसभा चुनाव में सीपीएम ने तपन चक्रवर्ती को मैदान में उतारा। उन्होंने कांग्रेस के देबाशीष सेन को 3,733 वोटों से हरा दिया। तपन चक्रवर्ती को कुल 14,010 जबकि सेन को 10,277 वोट मिले। 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर उम्मीदवार बदला। इस बार रुद्रेन्दु भट्टाचारजी को मैदान में उतारा। सीपीएम के तपन चक्रवर्ती ने रुद्रेन्दु को 6.034 वोटों से हराया। चक्रवर्ती को कुल 17,565 जबकि रुद्रेन्दु को 11,531 वोट मिले।