लेफ्ट का गढ़ है मंडवई, आईपीएफटी ने पत्रकार की हत्या के आरोपी को मैदान में उतारा

Daily news network Posted: 2018-02-16 19:17:07 IST Updated: 2018-02-16 19:27:39 IST
लेफ्ट का गढ़ है मंडवई, आईपीएफटी ने पत्रकार की हत्या के आरोपी को मैदान में उतारा
संक्षिप्त विवरण

अगरतला

त्रिपुरा में रविवार को विधानसभा चुनाव है, राज्य की 59 सीटों के लिए 18 फरवरी को वोट पड़ेंगे जिसमें सबकी नजर मंडवई सीट पर है जहां से भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में हत्या के आरोपी को प्रत्याशी बनाया है।



मंडवई विधानसभा सीट से भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने मंडवई विधानसभा सीट से धीरेन्द्र देबबर्मा को उम्मीदवार बनाया है। आपको बता दें कि देबबर्मा उन 12 आरोपियों में शामिल है जिन पर पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या का आरोप है। भाजपा और आईपीएफटी के बीच सीटों को लेकर जो समझौता हुआ है उसके मुताबिक भाजपा 51 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि 9 सीटें आईपीएफटी के लिए छोड़ी है जिसमें से एक मंडवई सीट भी जो की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और इस पर आईपीएफटी ने धीरेन्द्र देबबर्मा को उतारा है।



मंडवई सीट पर हमेशा से ही सीपीएम का दबदबा रहा है 1972 कालिदास देब बर्मा ने इस सीट को जीता जिसके बाद 1977 में इस सीट पर सीपीएम के ही उम्मीदवार राशिराम देबबर्मा ने टीयूएस के उम्मीदवार क्षिरोध देबबर्मा को 3,309 वोटों से हराया था इसके बाद क्षिरोध देबबर्मा ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा उन्होंने अपनी इस जीत को 1983 , 1988 और 1993 में टीजेएस के उम्मीदवार श्यामा चरण त्रिपुरा को 6,671 वोटों से करारी हार दी।



इसके बाद क्षिरोध देबबर्मा की गद्दी 1998 में सीपीएम के उम्मीदवार मनोरंजन देबबर्मा ने संभाली जिसमें उनका मुकाबला त्रिपुरा उपजती जुबा समिति यानी की टीयूजेएस के उम्मीदवार जगदीश देबबर्मा के साथ था जिसमें मनोरंजन देबबर्मा ने जगदीश देबबर्मा को 1544 वोटों से हराया और एक बार फिर से सीपीएम की जीत का लाल झंडा बुलंद किया।

1998 से लेकर 2013 तक मंडवई सीट पर सीपीएम के मनोरंजन देबबर्मा का ही दबदबा रहा है और इस बार भी सीपीएम ने मंडवई से अपनी धुरंधर मनोरंजन दास को ही उतरा है तो वहीं इस सीट पर 1998 से मनोरंजन दास को टक्कर देते आये और 2003 में टीयूजेएस छोड़ आईएनपीटी में शामिल हुए उम्मीदवार जगदीश देबबर्मा भी इस चुनाव लड़ रहे हैं इसके साथ ही इंडियन नेशनल कांग्रेस से जितेन देबबर्मा और त्रिपरालैंड स्टेट पार्टी सोनाचारन देबबर्मा उतरे हैं तो वहीं आईपीएफटी ने मंडवई सीट पर धीरेन्द्र देबबर्मा को चुनावी मैदान में उतरा है।


हालांकि मंडवई सीट पर सीपीएम की जड़े हिला पाना हमेशा से ही हर पार्टी के लिए टेढ़ी खीर रही है कोई भी उम्मीदवार इस सीट पर सीपीएम के उम्मीदवारों को आज तक कड़ी टक्कर देता दूर दूर तक नहीं दिखाई दिया है लेकिन इस बार राज्य में बीजेपी की धार मजबूत दिखाई दे रही है जिससे उम्मीद लगाई जा रही कि हमेशा से त्रिपुरा के सियासी पटल में दूर दूर तक दिखाई  वाली बीजेपी माकपा को कड़ी टक्कर देगी और इस बार के चुनावी समीकरण बदलेंगे।


 

त्रिपुरा में 18 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। 3 मार्च को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 50 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। भाजपा एक सीट भी नहीं जीत पाई थी। उसका वोट शेयर सिर्फ 1.54 फीसदी था। हालांकि पिछले साल ही वह उस वक्त प्रमुख विपक्षी दल बन गई जब तृणमूल कांग्रेस के 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। ये सभी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे। लेकिन बाद में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। पिछले साल अगस्त में सभी 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। सीपीएम के नेतृत्व वाला लेफ्ट फ्रंट 57 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। तीन सीटें उसने फॉरवर्ड ब्लॉक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी(आरएसपी) और सीपीआई के लिए छोड़ी है।