असम : पड़ोसी राज्यों द्वारा अतिक्रमण पर सरकार को कड़ाई से पहल करनी चाहिए

Daily news network Posted: 2018-02-16 13:21:02 IST Updated: 2018-02-16 13:21:02 IST
असम : पड़ोसी राज्यों द्वारा अतिक्रमण पर सरकार को कड़ाई से पहल करनी चाहिए
  • पडोसी राज्यों के साथ जारी सीमा विवाद की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे । विधानसभा के प्रश्नकाल में सीमा विवाद समस्या के मुद्दे पर हुई चर्चा के अंत में अध्यक्ष हितेंद्रनाथ गोस्वामी ने आज यह रूलिंग दी।

गुवाहाटी

गुवाहाटी।  पडोसी राज्यों  के साथ जारी सीमा विवाद की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे । विधानसभा के प्रश्नकाल में सीमा विवाद समस्या के मुद्दे पर हुई चर्चा के अंत में अध्यक्ष हितेंद्रनाथ गोस्वामी ने आज यह रूलिंग दी।

प्रश्नकाल में अगप विधायक प्रदीप हजारिका ने पडोसी नगालैंड की ओर से उनके क्षेत्र के तहत विभिन्न इलाकों में स्टोन क्रशर मशीन, ईंट भट्ठा, काठ मिल आदि नागालैंड सरकार से परमिट लेकर असम की जमीन पर अवैध रूप से कब्ज़ा करने का मुद्दा उठाते हुए जानना चाहा कि आखिर यह कैसे संभव हो रहा है। 

नागालैंड  का परमिट लेकर असम की जमीन पर से यहां उपलब्ध संपदाओं को यहां के ही लोगों को ही बेच रहे हैं। उन्होंने पूछ कि क्या वे विवादित इलाके असम के हैं या नहीं। अगर असम के हैं तो उन इलाकों में नगा कैसे अपना धंधा चला रहै हैं? सरकारी सुरक्षा बल के रहते ऐसा जैसे संभव हो रहा है?

जवाब में वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रमिलारानी ब्रह्म ने आरोपों को स्वीकारते हुए बताया कि उन्होंने रेंगमा वनांचल का दौरा किया था । उस दौरान उन्होंने इन आरोपों की सच्चाई सच पाई थी तो संबंधित डीएफओ को नगाओं द्वारा स्थापित अवैध मिलों को तत्काल बंद कराने का निर्देश भी दिया था। गोलाघाट के डीएफओ ने नागाओं द्वारा स्थापित इकाइयों से संबंधित सामग्रियों को जब्त भी किया था । 

लेकिन नागालैंड  की और से अलंकारिक तौर पर जब दबाव आने लगा तो सीमा पर कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए असम की ओर से जप्त सामग्रियों को वापस कर दिया गया था । मंत्री ने सदन को बताया कि नागालैंड, अरुणाचल आदि पडोसी राज्यों से असम की जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है । विवादित इलाका होने के कारण असम अभी तक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करता रहा है। मंत्री का जवाब सुन अगप विधायक हजारिका ने कहा कि अगर विवादित इलाका ही है तो सरकार इन इलाकों को अतिक्रमणकारी राज्यों को क्यों सौंप नहीं देती है?