आ रहा है 5 जी,1 सेकंड में डाउनलोड हो जाएगी मूवी

- भारत में अभी 4G का विस्तार हो रहा है मगर दुनियाभर के टेलिकॉम ऑपरेटर्स मोबाइल टेक्नॉलजी की अगली जेनरेशन 5G लाने की तैयारी में जुट गए हैं। 3G और 4G के मामले में पीछे रही भारत सरकार चाह रही है कि 5G के मामले में दुनिया के बराबर चला जाए। इसीलिए उसने 5G लाने की तैयारी शुरू कर दी है।
नई दिल्ली।
भारत में अभी 4G का विस्तार हो रहा है मगर दुनियाभर के टेलिकॉम ऑपरेटर्स मोबाइल टेक्नॉलजी की अगली जेनरेशन 5G लाने की तैयारी में जुट गए हैं। 3G और 4G के मामले में पीछे रही भारत सरकार चाह रही है कि 5G के मामले में दुनिया के बराबर चला जाए। इसीलिए उसने 5G लाने की तैयारी शुरू कर दी है।
5G या पांचवीं जेनरेशन एक टेक्नॉलजी है जो आज से करीब 2 साल बाद फास्ट मोबाइल ब्रॉडबैंड नेटवर्क पर काम करेगी। 5G नेटवर्क 20Gbps की स्पीड देगी। अभी 4G नेटवर्क 1Gbps की ही स्पीड दे सकते हैं। यह समझ लीजिए कि एक तरह से आप अपनी पॉकिट में फाइबर ऑप्टिक कनेक्शन लेकर चलेंगे।
5G यूजर 3 घंटों की HD मूवी 1 सेकंड से भी कम वक्त में डाउनलोड कर सकेंगे जबकि अभी 4G में इस काम के लिए 10 मिनट लग जाते हैं। विडियो बफरिंग का टाइम भी लगभग खत्म हो जाएगा क्योंकि डेटा ट्रांसफर बिजली की रफ्तार से होगा। 5G नेटवर्क डेटा को 1 मिलीसेकंड से भी कम में डिलिवर कर देंगे जबकि अभी 4G नेटवर्क इसमें 70 मिलीसेकंड लेते हैं।
ये बदलाव आएंगे
एक्सपर्ट्स का मानना है कि 5G टेक्नॉलजी से पूरी तरह कनेक्टेड सोसाइटी बनने का रास्ता खुलेगा। इससे मशीन-टु-मशीन कम्यूनिकेशंस (M2M), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), कनेक्टेड स्मार्ट सिटीज़, सेल्फ ड्राइविंग कार, रिमोट कंट्रोल सर्जरी से लेकर वर्चुअल रिऐलिटी जैसी सर्विसेज का विस्तार होगा। उदाहरण के लिए M2M टेक्नॉलजीज़ से वायर्ड और वायरलेस डिवाइसेज सेंसर्स की मदद से एक-दूसरे से कम्यूनिकेट कर सकेंगे। 5G से लोग अपने घर को इलेक्ट्रॉनिक्स, सॉफ्टवेयर या सेंसर टेक्नॉलजी से लैस करके वायरलेस नेटवर्स से कनेक्ट कर सकते हैं। उदाहरण के लिए घर से सिक्यॉरिटी सिस्टम को वायरलेस नेटवर्क के जरिए दूर से ही कंट्रोल किया जा सकेगा।
5G नेटवर्क्स 3400 MHz , 3500 MHz और 3600 MHz बैंड्स पर रन करते हैं। 3500 MHz बैंड को आदर्श माना जाता है। मिलीमीटर वेव स्पेक्ट्रम 5G में अहम भूमिका निभा सकता है। इन्हें मिलीमीटर वेव्स इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनकी लेंग्थ 1 से 10 mm होती है। मिलीमीटर तरंगें 30 से 300 GHz फ्रिक्वेंसीज़ पर काम करती हैं। अभी तक इन तरंगों को सैटलाइट नेटवर्क्स और रडार सिस्टम्स में इस्तेमाल किया जा सकता है।
अगर 5G में मिलीमीटर वेव्स इस्तेमाल की जाती हैं तो इसका श्रेय सर जगदीश चंद्र बोस को भी जाएगा। उन्होंने 1895 में ही दिखाया था कि इन वेव्स को कम्यूनिकेशन के लिए यूज किया जा सकता है।
पूरी दुनिया में हो रही है तैयारी
उम्मीद है कि 2019 तक बड़े स्केल पर 5G का ट्रायल शुरू हो जाएगा। साउथ कोरियन कैरियर KT Corp तो विंटर ओलिंपिक 2018 से पहले ही इसे लॉन्च कर सकता है। अमेरिका में AT&T और Verizon ने 5G का ट्रायल शुरू कर दिया है। वराइज़न स्वीडन की कंपनी एरिक्सन के साथ मिलकर अमेरिका की 11 मार्केट्स में 5G फिक्स्ड वायरलेस सर्विस टेस्ट कर रहा है। अगले साल ये सर्विसेज कमर्शली भी लॉन्च की जा सकती हैं। अमेरिकी टेलिकॉम रेग्युलेटर FCC ने अमेरिका में 2020 तक 5G लॉन्च करने के लिए प्लान तैयार किया हुआ है। जापान में DoCoMo और इंटेल मिलकर सेंट्रल तोक्यो में अगले साल 5G का ट्रायल शुरू करेंगे।
5G की खामियां
रिसर्चर्स का कहना है कि 5G फ्रिक्वेंसीज़ को बिल्डिंग्स ब्लॉक कर सकती हैं। लंबी दूरी पर इनका घनत्व भी कम हो जाएगा जिससे कवरेज कमजोर हो जाएगी। उदाहरण के लिए अगर भविष्य में 5G के लिए मिलिमीटर वेव्स इस्तेमाल होती हैं तो कवरेज का इशू हो सकता है क्योंकि ऐसी तरंगें इमारतों को भेद नहीं पातीं। पेड़-पौधे और बारिश से भी ये कमजोर हो जाती हैं।
भारत में यह है 5G की स्थिति
सरकार ने 5G स्पेक्ट्रम के लिए ऑक्शन की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार ने ट्राई से कहा है कि 3400 से 3600 MHz बैंड्स की नीलामी के लिए शुरुआती दाम सुझाए। ट्राई ने इसपर काम शुरू कर दिया है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम जल्द ही इस संबंध में एक पॉलिसी भी ला सकता है। दरअसल एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में 5G जैसी फास्ट वायरेलस टेक्नॉलजी लाने से पहले डेटा होस्टिंग और क्लाउड सर्विसेज के लिए रेग्युलेटरी कंडिशंस में बदलाव लाया जाना चाहिए।