जलदापाड़ा राष्ट्रीय उद्यान में हो रही गैंडे की हत्या के जांच में सनसनीखेज मामला सामने आया है। अब गैंडे व हाथियों के शिकार के लिये शिकारी बंदूक का इस्तेमाल नहीं करते हैं, बल्कि अरुणाचल प्रदेश में निर्मित विशेष प्रकार की गुल्टी के सहारे इंजेक्शन की मदद से जानलेवा पोटाशियम सायनेड का इस्तेमाल किया जा रहा है। मात्र 15 मिनट में ही इसका असर दिखने लगता है। इसके बाद शिकारी आसानी से गैंडे का सिंग व हाथी का दांत ले जाते हैं।
उत्तर बंगाल के मुख्य वनपाल उज्ज्वल घोष ने बताया कि शिकारियों के शिकार करने के तरीके से वन विभाग आश्चर्यचकित है। अब वनकर्मियों को और अधिक जागरूक रहने की आवश्यकता है। ज्ञातव्य है कि गत 5 फरवरी जलदापाड़ा राष्ट्रीय उद्यान के कुदालबस्ती रेंज के एनइसी के एक नंबर कंपाटमेंट में बदमाशों के एक गिरोह ने पूर्ण वयस्क गैंडे की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद सिंग काटकर ले गए।
घटना की जांच के दौरान मंगलवार रात को गुवाहाटी जा रही बस में तलाशी चलाकर अरुणाचल प्रदेश के कुख्यात अपराधी मारतो रिबासह समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा छिपा कर रखा हुआ राइफल व काफी मात्रा में कारतूस भी बरामद किया गया था। पूछताछ में पता चला है कि गैंडे के सिंग को असम में तस्करी की योजना बनाई गई थी। गैंडे का शिकार करने के लिए इस गिरोह ने उत्तर-पूर्वाचल के अंतरराष्ट्रीय तस्करों से 25 लाख रुपये लिया था।
पकड़े गए गिरोह में बानरहाट के शिक्षक राजीव रावा का नाम भी शामिल है। वर्ष 2017 में भी गोरूमारा राष्ट्रीय उद्यान में दो गैंडे की हत्या का मामला प्रकाश में आया था। वर्ष 2014 में तीन व 2015 में पांच गैंडे की हत्या की गई थी।