प्रतापगढ़ से लगातार 8 बार जीते सीपीएम के अनिल सरकार, भाजपा का खाता भी नहीं खुला

- आज हम बात कर रहे हैं त्रिपुरा की प्रतापगढ़ विधानसभा सीट की। यह सीट एससी के लिए सुरक्षित है। 2015 में इस सीट पर उप चुनाव हुआ था।
अगरतला।
आज हम बात कर रहे हैं त्रिपुरा की प्रतापगढ़ विधानसभा सीट की। यह सीट एससी के लिए सुरक्षित है। 2015 में इस सीट पर उप चुनाव हुआ था। यहां से सीपीएम के रामु दास ने जीत दर्ज की थी। सीपीएम ने फिर रामू दास को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा ने रेबाती मोहन दास को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने उम्मीदवार बदल दिया है। उसने अर्जुन दास को मैदान में उतारा है। तृणमूल कांग्रेस ने मिथुन दास जबकि अमरा बंगाली से बीरेन्द्र दास ने टिकट दिया है। इस सीट पर हमेशा से वामपंथियों का कब्जा रहा है।

कांग्रेस सिर्फ एक बार चुनाव जीती है।1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मधुसुदन दास ने सीपीएम के जदाब चंद्र मजूमदार को सिर्फ 269 वोटों से हराया था। दास को कुल 3,862 जबकि मजूमदार को 3, 593 वोट मिले थे। मधुसुदन दास सबसे कम वोटों से जीतने वाले नेता रहे हैं। 1977 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर दास पर दांव लगाया लेकिन वह चुनाव हार गए। सीपीएम के अनिल सरकार ने दास को 7,472 वोटों से हराया। अनिल सरकार को कुल 10, 869 जबकि दास को 3,397 वोट मिले थे। सीपीएम के अनिल सरकार यहां से आठ बार चुनाव जीत चुके हैं। 1977 में अनिल सरकार पहली बार चुनाव जीत कर विधानसभा बने थे। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

2013 तक लगातार वह चुनाव जीतते रहे। अनिल सरकार सबसे ज्यादा वोटों से चुनाव जीतने वाले नेता रहे हैं। 1977 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के मधुसुदन दास को 7,472 वोटों से हराया था।सरकार को कुल 10, 869 जबकि दास को सिर्फ 3,397 वोट मिले। 1983 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दास की बजाय मोनमोहन दास को चुनाव मैदान में उतारा लेकिन वह चुनाव हार गए। सीपीएम के अनिल सरकार ने उन्हें 3,978 वोटों से हराया। सरकार को कुल 12, 736 जबकि दास को 8, 758 वोट मिले। 1988 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर उम्मीदवार बदला और एक बार फिर मधुसुदन दास को टिकट दिया लेकिन वह हार गए। अनिल सरकार ने दास को 2,286 वोटों से हराया। सरकार को कुल 15,778 जबकि दास को 13, 492 वोट मिले।

1993 में कांग्रेस ने फिर दास को टिकट दिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अनिल सरकार ने इस बार दास को 7, 048 वोटों से हराया। सरकार को कुल 21, 629 जबकि दास को 14, 581 वोट मिले। 1998 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर उम्मीदवार बदला और नारायण दास को चुनाव मैदान में उतारा। लेकिन वह भी चुनाव हार गए। अनिल सरकार ने नारायण दास को 2, 993 वोटों से मात दी। सरकार को कुल 20, 255 जबकि दास को 17, 262 वोट मिले। 2003 में कांग्रेस ने फिर नारायण दास पर दांव लगाया। इस बार भी वह चुनाव हार गए।

अनिल सरकार ने इस बार दास को 5, 854 वोटों से हराया। सरकार को कुल 24, 638 जबकि दास को 18, 784 वोट मिले। 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर उम्मीदवार बदल दिया। इस बार पार्टी ने बिमल चंद्र बर्मन को मैदान में उतारा लेकिन वह भी चुनाव हार गए। अनिल सरकार ने उन्हें 7,050 वोटों से हराया। सरकार को कुल 32, 105 जबकि बर्मन को 25, 055 वोट मिले। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रंजीत कुमार दास को टिकट दिया। वह भी चुनाव हार गए। अनिल सरकार ने दास को 2,132 वोटों से हराया। सरकार को कुल 23, 977 जबकि दास को 21, 845 वोट मिले।