शांतिरबाजार में मोदी की रैली, सिर्फ 93 वोटों से जीती थी सीपीआई

- त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में सभी की नजरें शांतिरबाजार सीट पर लगी हुई है। यह सीट एसटी के लिए रिजर्व है। इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला है।
अगरतला।
त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में सभी की नजरें शांतिरबाजार सीट पर लगी हुई है। यह सीट एसटी के लिए रिजर्व है। इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को यहां पार्टी के पक्ष में प्रचार के लिए पहुंचे। मोदी ने त्रिपुरा की लेफ्ट फ्रंट सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं को अराजकतावादी करार देते हुए कहा कि ये लोग चुनाव में अशांति फैलाने की कोशिश करेंगे क्योंकि ये गणतंत्र में नहीं गनतंत्र में विश्वास करते हैं। आपको बता दें कि सीपीआई के मानिन्द्र रियांग 2003 से यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं। सीपीएम ने इस चुनाव में फिर मानिन्द्र पर दांव लगाया है। वहीं कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है। पार्टी ने इस बार बनेति रियांग को चुनाव मैदान में उतारा है। 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से गौरी शंकर रियांग पर दांव लगाया था। वह दोनों चुनाव हार गए।

भाजपा ने प्रमोद रियांग को प्रत्याशी बनाया है। मिलन पदामुरासिंह बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सीपीआई के मानिन्द्र रियांग ने कांग्रेस के गौरी शंकर रियांग को 3,756 वोटों से हराया था। मनिन्द्र को कुल 20, 798 जबकि गौरी शंकर को 17, 042 वोट मिले थे।शांतिरबाजार सीट पर कुल 8 बार चुनाव हुए हैं। चार बार सीपीआई, तीन बार टीएसयू और एक बार सीपीएम जीत दर्ज कर चुकी है। 1977 से 1988 तक लगातार यहां से टीएसयू के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। गौरी शंकर रियांग 5 बार इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। एक बार जीते जबकि चार बार हार का मुंह देखना पड़ा। 1988 में यह सीट जनरल की हो गई थी।

तब गौरी शंकर रियांग ने जीत दर्ज की थी। तब उन्होंने बतौर टीयूएस उम्मीदवार जीत दर्ज की थी। 1993 में उन्होंने टीजेएस के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 1998 में उन्होंने टीयूजेएस से चुनाव लड़ा लेकिन फिर हार गए। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। पिछले दो चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लड़े लेकिन दोनों बार हार का स्वाद चखना पड़ा। सीपीआई के दुर्बाजॉय ने यहां से सबसे कम वोटों से जीत दर्ज की थी। 1998 में दुर्बाजॉय ने गौरीशंकर को सिर्फ 93 वोटों से हराया था। सीपीआई के मनिन्द्र रियांग सबसे ज्यादा वोटों से जीत दर्ज करने वाले नेता हें।

पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के गौरी शंकर रियांग को 3, 756 वोटों से हराया था। 1977 के चुनाव में टीयूएस के द्राओ कुमार रियांग ने सीपीएम के सुबोध चंद्र नाथ को 495 वोटों से हराया था। रियांग को कुल 4,397 जबकि सुबोध चंद्र नाथ को 3,902 वोट मिले थे। 1983 के विधानसभा चुनाव में सीपीएम ने उम्मीदवार बदल दिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। एक बार फिर टीयूएस ने यहां से जीत दर्ज की। टीयूएस के श्याम चरण त्रिपुरा ने सीपीएम के नारायण चंद्र कार को 2,719 वोटों से हराया। श्याम चरण को कुल 10,478 जबकि नारायण चंद्र को 7,759 वोट मिले। 1988 के विधानसभा चुनाव में यह सीट जनरल की हो गई। इस बार भी टीएसयू ने चुनाव जीता।

टीयूएस के गौरी शंकर रियांग ने सीपीएम के माणिक मजूमदार को 1,112 वोटों से हरा दिया। गौरी शंकर को कुल 11,582 जबकि माणिक मजूमदार को 10, 470 वोट मिले। 1993 में यहां से सीपीएम के बाजुबान रियांग ने टीजेएस के गौरी शंकर रियांग को 363 वोट से हराया। बाजुबन रियांग को कुल 13, 242 जबकि गौरी शंकर को 12, 879 वोट मिले। 1998 में लेफ्ट फ्रंट ने यह सीट सीपीआई के लिए छोड़ दी। सीपीआई के दुर्बाजॉय रियांग ने टीयूजेएस के गौरी शंकर रियांग को 93 वोट से हराया। दुर्बाजॉय रियांग को कुल 11,983 जबकि गौरी शंकर को 11, 890 वोट मिले।

2003 में सीपीआई ने उम्मीदवार बदल लिया। उसने मनिन्द्र रियांग को मैदान में उतारा। उन्होंने आईएनपीटी के राणा किशोर रियांग को 2,430 वोटों से हरा दिया। मनिन्द्र रियांग को कुल 14, 536 जबकि राणा किशोर को 12, 106 वोट मिले। 2008 में भी मनिन्द्र रियांग ने कांग्रेस के गौरी शंकर रियांग को 2,783 वोटों से हराया। मनिन्द्र रियांग ोक कुल 18, 345 जबकि गौरी शंकर को 15, 562 वोट मिले। 2013 के चुनाव में मनिन्द्र रियांग ने फिर जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के गौरी शंकर रियांग को 3,756 वोटों से हराया। मनिन्द्र रियांग को कुल 20, 798 जबकि गौरी शंकर को 17, 042 वोट मिले।