त्रिपुरा में जीत के लिए कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स पर भाजपा की नजर

- त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में भाजपा की नजर कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स पर है। भाजपा को पक्का भरोसा है कि वह इनको अपनी तरफ खींच लेगी।
अगरतला
त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में भाजपा की नजर कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स पर है। भाजपा को पक्का भरोसा है कि वह इनको अपनी तरफ खींच लेगी। अगर ऐसा हुआ तो इस बात की पूरी संभावना है कि वह ले ट फ्रंट को मात दे दें। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 सीटें जीती थी। 2008 के चुनाव में भी कांग्रेस को 10 सीटें मिली थी।
2016 में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के ले ट फ्रंट के साथ गठबंधन करने के चलते पार्टी विधायकों और जमीनी कार्यकर्ताओं का स्टेट यूनिट से पलायन होने लगा। त्रिपुरा में कांग्रेस विधायक सुदीप रॉय बर्मन 5 अन्य विधायकों के साथ तृणमूल कांग्रेस में चले गए। पिछले साल अगस्त में ये सभी भाजपा में शामिल हो गए। बकौल बर्मन,लोग इस बार एंटी ले ट वोटों को बंटने नहीं देंगे और भाजपा के पक्ष में मतदान करेंगे। यहां कांग्रेस का नामोनिशान मिट गया है।
त्रिपुरा में हमेशा एंटी ले ट वोटर रहे हैं। बीते रविवार को केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा था कि राज्य में वाम विरोधियों की जगह को भाजपा ने अपने कब्जे में कर लिया है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक भाजपा पूरी तरह वाम विरोधी मतदताओं पर निर्भर रहेगी। एक राजनीतिक जानकार के मुताबिक 59 सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस राज्य में कोई बड़ी राजनीतिक ताकत नहीं रह गई है। यहां अब भाजपा और उसके सहयोगी दल एनसी देबबर्मा की अगुवाई वाली आईपीएफटी और वाम मोर्चे की सीधी लड़ाई है। इसमें कोई शक नहीं है कि भाजपा की लोकप्रियता राज्य में बहुत बढ़ी है लेकिन चुनाव का नतीजा काफी हद तक उन गैर वाम मतदाताओं पर निर्भर करेगा जो पहले कांग्रेस को वोट करते थे।
बंगाल की तरह त्रिपुरा के वोटर्स पक्की पॉलिटिकल लाइन पर वोट करते हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर गैर वाम मतदाताओं को बांटकर सत्ताधारी वाम दल की मदद करने का आरोप लगाया है। शाह ने असम और मणिपुर की तरफ इशारा करते हुए कहा, कांग्रेस गैर वाम मतों को बांटकर वाम मोर्चे की मदद कर रही है लेकिन सत्ता में भाजपा ही आएगी। इन राज्यों में पार्टी का बेस छोटा था फिर भी उसने यहां अपनी सरकारें बनाईं। एआईसीसी के महासचिव व पुड्डुचेरी के मु यमंत्री वी.नारायणसामी ने शाह के बयान पर कहा कि त्रिपुरा में दो साल पहले भाजपा का नामोनिशान नहीं था। यह कांग्रेस ही है जो केरल और त्रिपुरा में क यूनिस्टों से लड़ती रही है।