गोलाघाटी सीट से सिर्फ 1 वोट से जीती थी कांग्रेस,1988 में 9 वोटों से भी जीता था ये नेता

Daily news network Posted: 2018-02-14 16:16:05 IST Updated: 2018-02-14 16:16:05 IST
गोलाघाटी सीट से सिर्फ 1 वोट से जीती थी कांग्रेस,1988 में 9 वोटों से भी जीता था ये नेता
  • त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में सभी की नजरें गोलाघाटी सीट पर लगी हुई है। इस सीट पर कुल 8 बार चुनाव हुए हैं। 5 बार सीपीएम, एक बार कांग्रेस और दो बार टीयूएस ने जीत दर्ज की है। आपको बता दें कि यह सीट एसटी के लिए आरक्षित है।

अगरतला।

त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में सभी की नजरें गोलाघाटी सीट पर लगी हुई है। इस सीट पर कुल 8 बार चुनाव हुए हैं। 5 बार सीपीएम, एक बार कांग्रेस और दो बार टीयूएस ने जीत दर्ज की है। आपको बता दें कि यह सीट एसटी के लिए आरक्षित है। यह सीट इसलिए भी चर्चा के केन्द्र में है क्योंकि 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार अशोक देबबर्मा ने यहां से सिर्फ 1 वोट से जीत दर्ज की थी।

देबबर्मा ने सीपीएम के निरंजन देबबर्मा को हराया था। केशब देबबर्मा को कुल 10,080 वोट मिले थे जबिक निरंजन देबबर्मा को 10,079 मत पड़े थे। 1988 के विधानसभा चुनाव में यहां से टीएसयू के उम्मीदवार बुद्धा देबबर्मा ने भी सिर्फ 9 वोटों से जीत दर्ज की थी। उन्होंने सीपीएम के निरंजन देबबर्मा को हराया था। बुद्धा देबबर्मा को कुल 9,141 जबकि निरंजन देबबर्मा को 9,132 वोट मिले थे।

2013 के विधानसभा चुनाव में सीपीएम के केशब देबबर्मा ने यहां से सबसे ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी। उन्होंने आईएनपीटी के मनब देबबर्मा को 4,533 वोटों से हराया था। केशब देबबर्मा को कुल 19,181 जबकि मनब देबबर्मा को 14,648 वोट मिले थे। सीपीए के निरंजन देबबर्मा यहां से 6 बार चुनाव लड़ चुके हैं। उन्हें 3 बार जीत मिली जबकि 3 बार हार का मुंह देखना पड़ा।

बुद्धा देब बर्मा चार बार चुनाव लड़ चुके हैं। दो बार जीते और दो बार हार का स्वाद चखना पड़ा। कांग्रेस के अशोक देबबर्मा ने 3 बार चुनाव लड़ा। एक बार जीत मिली दो बार हारे। इस बार इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। सीपीएम ने फिर केशब देबबर्मा पर दांव लगाया है। भाजपा ने बीरेन्द्र किशोर देबबर्मा को चुनाव मैदान में उतारा। कांग्रेस ने निशीकांत देबबर्मा को टिकट दिया है। आईएनपीटी ने फिर से मानब देबबर्मा को टिकट दिया है।



1977 के विधानसभा चुनाव में यहां से सीपीएम के निरंजन देबबर्मा ने टीयूएस के बुद्धा देबबर्मा को 1,083 वोटों से हराया था। निरंजन देबबर्मा को कुल 4,254 जबकि बुद्धा देबबर्मा को 3,171 वोट मिले थे।1983 में निरंजन देबबर्मा चुनाव हार गए। बुद्धा देबबर्मा ने उन्हें 813 वोटों से हराया। बुद्धा देबबर्मा को कुल 8,011 वोट मिले जबकि निरंजन देब को 7,198 वोट मिले। 1988 में सीपीएम ने फिर निरंजन देब पर दांव लगाया लेकिन वह चुनाव हार गए।


टीएसयू के बुद्दा देबबर्मा ने निरंजन देबबर्मा को को सिर्फ 9 वोटों से हराया। 1993 के विधानसभा चुनाव में निरंजन देबबर्मा ने वापसी की और टीजेएस के बुद्दा देबबर्मा को 3,214 वोटों से हराया। निरंजन देब को 10, 465 जबकि बुद्धा देबबर्मा को 10, 079 वोट मिले। 1998 में सीपीएम के निरंजन देबबर्मा ने फिर चुनाव जीता। इस बार उन्होंने कांग्रेस के अशोक देबबर्मा को 949 वोटों से हराया। निरंजन देबबर्मा को कुल 11,028 जबकि अशोक देबबर्मा को 10, 079 वोट मिले।

2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर अशोक देबबर्मा को चुनाव मैदान में उतारा। इस बार उन्होंने चुनाव जीत लिया। अशोक देबबर्मा ने सीपीएम के निरंजन देबबर्मा को सिर्फ 1 वोट से हराया। 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर अशोक देबबर्मा पर दांव लगाया लेकिन वह चुनाव हार गए। सीपीएम ने भी अपना उम्मीदवार बदल लिया था। सीपीएम के केशब देबबर्मा ने अशोक देबबर्मा को 2,987 वोटों से हराया। केशब देबबर्मा को कुल 13,990 जबकि अशोक देबबर्मा को 11,003 वोट मिले।